26 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

चेंजमेकर महाअभियान: राजनीति से हो उम्रदराज और वंशवाद का सफाया

आधुनिकता के इस बदलते दौर में जरूरी है कि अब राजनीति में भी बदलाव होना चाहिए

2 min read
Google source verification
bhilwara, bhilwara news, Changemaker Maha Abhiyan in bhilwara,  Latest news in bhilwara, Bhilwara News in hindi, Hindi News in bhilwara, Latest hindi news in bhilwara

आधुनिकता के इस बदलते दौर में जरूरी है कि अब राजनीति में भी बदलाव होना चाहिए। देश में राज करने वाला उच्च शिक्षित व्यक्ति आए और उसमें युवाओं की अधिकाधिक भागीदारी हो

भीलवाड़ा।

आधुनिकता के इस बदलते दौर में जरूरी है कि अब राजनीति में भी बदलाव होना चाहिए। देश में राज करने वाला उच्च शिक्षित व्यक्ति आए और उसमें युवाओं की अधिकाधिक भागीदारी हो। अच्छी छवि के व्यक्ति को मौका मिले और भ्रष्टाचार व वंशवाद का सफाया होना चाहिए।

READ: स्पिनिंग मिलों पर हर साल 150 से 200 करोड़ की मार

इसके लिए जरूरी है कि जनता चुनाव में आपराधिक छवि वाले और भ्रष्टाचारी को खड़ा करने वाले राजनीतिक दल को चुनाव में मतदान में आहूति देकर करार जवाब दें। इसके लिए सभी को आगे आना होगा। एकजुटता के साथ ही लोकतंत्र के इस महाकुम्भ में सभी की भागीदारी जरूरी होगी। इससे ही स्वच्छ राजनीति का पुनर्जन्म होगा।

READ: रीठ गांव में आग बुझाने पहुंची दमकल में खत्म हुआ डीजल


राजस्थान पत्रिका के चेंजमेकर महाभियान के तहत जिला एवं सत्र न्यायालय परिसर के पुस्तकालय कक्ष में शनिवार को आयोजित परिचर्चा में अधिवक्ताओं ने एक स्वर में यह बात कही।उनका कहना था कि शिक्षित व्यक्ति के राजनीति में आने के बाद वह हर तरह से जनता की भावनाओं को समझ सकता है। सरकार को कानून बनाना चाहिए कि आपराधिक ओर भ्रष्ट आचारण वाले व्यक्ति को टिकट नहीं मिले। इससे जनता के पैसे का सदुपयोग होगा और स्वच्छ छवि के व्यक्ति के राजनीति में आने को बाद देश में भय मुक्त वातावरण का निर्माण होगा।


यह थे परिचर्चा में शामिल
जिला अभिभाषक संस्था के अध्यक्ष राजेन्द्र कचौलिया, पूर्व अध्यक्ष मोहम्मद फरजन, नीलम बंसल, उम्मेदसिंह राठौड़, विजय भटनागर, आजाद शर्मा, विष्णुदत्त शर्मा, राजू डीडवानिया, पवन पंवार, फारूख मोहम्मद, हेमेन्द्रसिंह राणावत, जयकृतसिंह राठौड़, लादूलाल तेली, दीपक खूबवानी, राजेश शर्मा, कुणाल ओझा, ललिता शर्मा, सुषमा पाटिल, संदीप सक्सेना, ओमप्रकाश तेली, गोपाल सोनी, निपेन्द्रसिंह राणावत, विजय डोलिया, भैरूलाल बैरवा, अद्वित्य नारायण जहाजपुरिया, मुकेश हेड़ा परिचर्चा में उपस्थित थे।


पाबंद हो पार्टी, घोषणा पत्र के अनुरूप काम हो
वकीलों को कहना था कि चुनाव से पहले राजनीतिक पाटियां चुनाव घोषणा पत्र जारी करती है। चुनाव जीतने के बाद उसे भुला दिया जाता है। पार्टियों को पाबंद किया जाए कि वह चुनावी घोषणा पत्र के अनरूप कार्य करें। वकीलों का कहना था कि 30 से 60 साल तक के व्यक्ति को ही चुनाव मैदान में उतारा जाए। उम्रदराज व्यक्ति को राजनीति में नहीं लाया जाए। एक प्रत्याशी को एक जगह से ही टिकट दिया जाना चाहिए।


पांच दशक पूर्व भी वहीं मुद्दा, आज भी उसी पर लड़ाई
वकीलों का कहना था कि पचास साल पूर्व भी बिजली, सड़क और पानी जैसे मूलभूत जरूरतों से जुड़े मुद्दे को लेकर चुनाव लड़ा जाता था। वर्तमान में भी वहीं स्थिति है। उसमें कोई सुधार नहीं हुआ। उधर, महिला वकीलों का कहना था कि राजनीति में महिला जनप्रतिनिधि तो बन जाती है। लेकिन वह महज कागजों तक सीमित होती है। महिलाओं को आज भी उनका अधिकार नहीं मिल पा रहा।