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30 फीसदी तक ब्याज वसूल रहे हैं सूदखोर, सरकारी दफ्तरों से लेकर गरीब बस्तियों तक फैला जाल

एक बार जो ब्याज की चकरी में फंसा फिर उसका बाहर निकलना मुश्किल है

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सौ रुपए कर्ज और उस पर बीस से तीस रुपए महीने का ब्याज, यानि डेढ़ साल में रकम दोगुनी। सूदखोरों ने इस धंधे को कमाई का जरिया बना लिया।

भीलवाड़ा।

सौ रुपए कर्ज और उस पर बीस से तीस रुपए महीने का ब्याज, यानि डेढ़ साल में रकम दोगुनी। सूदखोरों ने इस धंधे को कमाई का जरिया बना लिया। एक बार जो ब्याज की चकरी में फंसा फिर उसका बाहर निकलना मुश्किल है। हालात आत्महत्या तक पहुंच जाते हैं। वस्त्रनगरी पूरी तरह सूदखोरों के शिकंजे में फंसती जा रही है।

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इससे गरीब तबका प्रभावित हो रहा। पुलिस व प्रशासन के आंखें मूंदे बैठने से ब्याजखोरों के चुंगल में फंसे लोगों को बचाने वाला कोई नहीं दिखता। सरकारी दफ्तरों से लेकर गरीब बस्तियों तक सूदखोरी का जाल फैला हुआ है। खुलेआम सूदखोरों के समाज कंटक वसूली तक कर रहे हैं।

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हजारों शिकंजे में
शहर में हजारो लोग सूदखोरों के जाल में फंसे हुए है। ज्यादातर नौकरीपेशा लोग सूदखोरी के शिकार है। क्योंकि इनसे पैसे वसूलने की गारंटी होती है। आर्थिक मजबूरी, जुए और शराब के आदि लोग सूदखोरी के दलदल में फंसते हैं। गरीब बस्तियों में रहने वाले पेट की आग शांत करने के लिए भी कर्ज लेने को मजबूर होते हैं।

ऐसे फंसते है जाल में
आर्थिक परेशानी तथा जुए और नशे के आदि त्रस्त लोग पहले घर चलाने के लिए सूदखोरों की शरण में जाते हैं। कई लोग सूदखोरों का कर्ज चुकाने के लिए दूसरे सूदखोरों से भी कर्ज ले लेते हैं। सूदखोरी के शिकार ज्यादातर लोग ऐसे हैं , जो पहले से बैंक और वैधानिक संस्थाओं से कर्ज ले चुके होते हैं। एक बार सूदखोरों के दलदल में फंसने के बाद व्यक्ति जीवनभर इससे बाहर नहीं निकल पाता।

कोरे स्टाम्प पर साइन
सूदखोर कर्ज लेने वाले व्यक्ति को कानूनी दांवपेच में इस कदर उलाझते हैं कि वो व्यक्ति चाह कर भी अदालत या पुलिस की कानूनी शरण नहीं ले पाता। मजबूरी में पैसा उधार लेने वाला व्यक्ति को कोरे स्टाम्प पर हस्ताक्षर करने होते हैं। कोरे स्टाम्प और खाली चैक देने पर सूदखोर कर्जदार को ब्लैकमेल करते रहते हैं। झंझट से बचने के लिए सूदखोर अब कर्जदारों से एडवांस चैक लेते हैं। बीस से तीस प्रतिशत तक चक्रवृद्धि ब्याज वसूला जाता है।


समाजकंटकों की फौज
सूदखोरों ने पैसा वसूलने के लिए समाजकंटकों की फौज को पाल रखी है। समाजकंटक भुगतान के समय सरकारी कार्यालयों, फैक्ट्री व दुकान के बाहर खुलेआम वसूली करते है। जो लोग बचने की कोशिश करते है, उनके घर पर जाकर वसूली की जाती है।


इधर, परिजनों से बातचीत, मोबाइल ले गए जांच के लिए
आजाद चौक में कॉम्प्लेक्स की चौथी मंजिल से कूदकर जान देने वाले पंचवटी निवासी अशोक कृपलानी के आत्महत्या के लिए मजबूर करने के मामले में सोमवार से कोतवाली पुलिस ने जांच शुरू कर दी। उपनिरीक्षक मेघना त्रिपाठी दोपहर में मृतक के घर पहुंची। वहां परिजनों को ढांढस बंधाया और उनसे बातचीत की। घर की आर्थिक स्थिति, परेशान करने वाले नामजद सूदखोरों के बारे में जानकारी ली। वहीं आत्महत्या से पूर्व जिस मोबाइल से अशोक ने वीडियो बनाया। जांच के लिए पुलिस मोबाइल को साथ ले गई। इस मामले में अन्य लोगों के भी बयान लिए गए।

अधिक ब्याज वसूली पर की हत्या
वर्ष-2009 में तिलकनगर निवासी एक युवक की दो जनों ने हत्या कर दी। हत्या का कारण महज यह था कि मृतक 20-30 प्रतिशत तक ब्याज वसूल रहा था। ब्याज के बार-बार तकाजे से आरोपी परेशान हो गए। उन्होंने उसे मौत के घाट उतार कर ही चैन लिया। हालांकि बाद में सुभाषनगर थाना पुलिस ने दोनों को हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया।

ब्याज से परेशान होकर की आत्महत्या
वर्ष-2006 में वीरसावरकर चौक में रहने वाले एक व्यक्ति ने प्रतापनगर स्कूल में ब्याज से परेशान होकर जहर खाकर जान दे दी थी। सूदखोर काफी हाइरेट पर ब्याज वसूल रहा था। बार-बार तकाजे से वो परेशान हो गए। परिजनों तक बात नहीं जाए इससे उसने ब्याज के लिए मौत को गले लगा लिया।