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आईजी के कदम पर न्यायालय ने जताया आश्चर्य, ऐसा क्यों

Bhilwara मांडल कॉम्प्लेक्स प्रकरण तीन थाना प्रभारियों समेत पुलिस की चारों जांच को बताया सहीकार्रवाई के लिए एडीजी क्राइम को लिखा पत्र

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आईजी के कदम पर न्यायालय ने जताया आश्चर्य, ऐसा क्यों

आईजी के कदम पर न्यायालय ने जताया आश्चर्य, ऐसा क्यों

भीलवाड़ा. राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के मांडल अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने मांडल के एक कॉम्प्लेक्स के दस्तावेज में काट-छांटकर फर्जीवाड़ा प्रकरण में तीन थाना प्रभारियों एवं एक सहायक उप निरीक्षक की जांच सही ठहराई। न्यायालय ने अनुसंधान अधिकारी बंशीलाल पांडर की जांच व महानिरीक्षक पुलिस अजमेर रेंज रुपिंदर सिंह के इसके अनुमोदन पर आश्चर्य जताया।

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साथ ही एडीजी क्राइम को आईजी सिंह के खिलाफ कार्रवाई के लिए पत्र लिखा। गौरतलब है कि आईजी सिंह के आदेश पर इस मामले में गत दिनों तीन पुलिस अधिकारियों को निलंबित तथा एक को लाइन हाजिर किया गया था।

मांडल के किशनलाल सोनी ने कॉम्प्लेक्स खरीदा था। इसके पड़ोसी रामजस टांक ने कॉम्प्लेक्स के दस्तावेज में काट छांट कर न्यायालय में दस्तावेज पेश कर दिए। किशन ने रामजस के खिलाफ मामला दर्ज करवाया।


इन्होंने की जांच

तत्कालीन थाना प्रभारी राजेंद्र गोदारा व सहायक उप निरीक्षक चंद्रप्रकाश विश्नोई ने जांच की। आगे जांच तत्कालीन थाना प्रभारी अय्यूब खां ने की और शिकायत को सही मान आरोपी टांक को गिरफ्तार किया। फिर तत्कालीन थाना प्रभारी उगमाराम के पास जांच गई तो उन्होंने भी जांच को सही माना। इस बीच दो माह बाद जमानत पर छूटे रामजस ने अजमेर आईजी सिंह को शिकायत दी तो आईजी ने एसपी को पत्र लिखा। मामले की जांच पुर थाना प्रभारी शिवराज गुर्जर से फिर कराई। गुर्जर ने पूर्ववर्ती पुलिस जांच को सही माना तो आरोपी रामजस फिर आईजी के पास पहुंचा। आईजी ने अजमेर रेंज के पुलिस अधिकारी बंशीलाल पांडर को जांच सौंपी।
पांडर ने बदली दिशा

पांडर ने पूर्व में पुलिसकर्मियों की जांच को दरकिनार कर आरोपी के बयान को सही माना व मामले में एफआर लगा दी। इसके आधार पर आईजी ने तत्कालीन प्रतापनगर थाना प्रभारी राजेंद्र गोदारा, मांडल थाने के एएसआई चंद्रप्रकाश विश्नोई, थाना प्रभारी अयूब खां को निलंबित कर दिया। पुर थाना प्रभारी शिवराज गुर्जर को लाइन हाजिर कर दिया।