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स्कूलों में प्रदर्शित होगी सांस्कृतिक और भौगोलिक विरासत

प्रदेश के हर स्कूल में लगेगा क्षेत्रीय गौरव बोर्ड, अपने गांव-शहर की पहचान होगी स्कूल की दीवार पर

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Cultural and geographical heritage will be displayed in schools

Cultural and geographical heritage will be displayed in schools

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की अध्यक्षता में हुई विजन डॉक्यूमेंट बैठक के निर्देशों के अनुरूप राज्य सरकार ने एक नई शैक्षणिक पहल की है। इसके तहत राजस्थान के सभी सरकारी विद्यालयों में ‘ऐतिहासिक एवं भौगोलिक पृष्ठभूमि का बोर्ड’ लगाया जाएगा। माध्यमिक शिक्षा निदेशक सीताराम जाट की ओर से जारी आदेश में बताया गया कि यह बोर्ड 1 मीटर गुना 1.5 मीटर का होगा। इसमें विद्यालय की भौगोलिक स्थिति, सांस्कृतिक धरोहर और ऐतिहासिक विशेषताओं की जानकारी प्रदर्शित की जाएगी। इसका उद्देश्य विद्यार्थियों को केवल पाठ्यपुस्तकों तक सीमित न रखते हुए अपने परिवेश से जोड़ना है। ताकि वे अपने क्षेत्र के गौरव, परंपराओं और भौगोलिक विशेषताओं से परिचित होकर गर्व महसूस कर सकें।

इस तरह से दे सकेंगे जानकारी

  • - यदि विद्यालय थार रेगिस्तान क्षेत्र में स्थित है तो यह क्षेत्र थार मरुस्थल का भाग है, जहां कम वर्षा, रेतीली मिट्टी एवं ऊंचे टिब्बे पाए जाते हैं।
  • - यदि विद्यालय अरावली पर्वतमाला में है तो यह क्षेत्र प्राचीन अरावली शृंखला का भाग है, जो जैव विविधता एवं खनिज संपदा से समृद्ध हैं।
  • - यदि विद्यालय किसी नदी घाटी जैसे-चंबल अथवा झील (पिछोला, साम्भर) के पास है तो उसका संक्षिप्त विवरण शामिल किया जा सकता है।
  • - यदि विद्यालय ऐसे क्षेत्र विशेष में स्थित हो जो कोई ऐतिहासिक, सांस्कृतिक या पारिस्थितिक महत्व रखता है तो उस स्थान विशेष का उल्लेख भी शामिल किया जा सकता है।

बोर्ड में सम्मिलित की जाएंगी ये जानकारियां

  • - विद्यालय का नाम और स्थान
  • - क्षेत्र की भौगोलिक विशेषताएं
  • - ऐतिहासिक या सांस्कृतिक महत्व
  • - स्थानीय कला और संस्कृति का विवरण
  • - संक्षिप्त परिचय (80-100 शब्दों में)
  • - चित्र, नक्शे या स्थानीय प्रतीक

स्थानीय पहचान के माध्यम से शिक्षा को संपूर्णता

  • - विद्यार्थी अपने क्षेत्र के बारे में जानेंगे।
  • - कला, संस्कृति और पर्यावरणीय महत्त्व की जानकारी मिलेगी।
  • - पुस्तकीय ज्ञान के साथ स्थानीय बोध का समन्वय होगा।
  • - क्षेत्रीय गौरव और पहचान की भावना का विकास

30 जुलाई तक बोर्ड लगाने के निर्देश

शिक्षा विभाग ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि प्रत्येक विद्यालय में यह बोर्ड 30 जुलाई तक अनिवार्य रूप से लगाया जाए। बोर्ड की सामग्री रोचक और दृश्यात्मक होनी चाहिए ताकि विद्यार्थियों की जिज्ञासा बनी रहे। इस पहल से न केवल शिक्षा में नवाचार आएगा, बल्कि विद्यार्थी अपनी जड़ों से भी जुड़ सकेंगे।

विद्यार्थियों का होगा समग्र विकास

राज्य सरकार की यह पहल शिक्षा को स्थानीयता से जोड़कर विद्यार्थियों के समग्र विकास की दिशा में एक सशक्त कदम है। इससे बच्चे अपने आस-पास के प्राकृतिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक परिवेश को जानकर स्वयं को गौरवान्वित महसूस करेंगे।

कल्पना शर्मा, सीबीईओ मांडलगढ़