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मायाचारी आत्मा से किया गया धोखा है

- दस लक्षण पर्व के तीसरे दिन उत्तम आर्जव धर्म पर प्रवचन

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Deceit is a deception of the soul

Deceit is a deception of the soul

पंडित राहुल जैन ने कहा कि जो व्यक्ति मायाचारी या कपट करता है, उसका अगला भव संकट में पड़ता है, क्योंकि शास्त्रों के अनुसार ऐसा व्यक्ति त्रियंच बनता है। मायाचारी का अर्थ किसी और को ठगना या छलना नहीं है, बल्कि अपनी ही आत्मा के साथ धोखा करना है। उन्होंने कहा कि सरल व्यक्ति को हर कोई पसंद करता है। व्यक्ति को पानी की तरह सरल होना चाहिए, जिस रंग में मिले उसी में रच-बस जाए। यह बात पंडित जैन ने शनिवार को दस लक्षण पर्व के तीसरे दिन उत्तम आर्जव धर्म पर प्रवचन के दौरान कही। आदिनाथ दिगंबर जैन मंदिर ट्रस्ट अध्यक्ष नरेश गोधा ने बताया कि विमल कुमार सनत अजमेरा ने आदिनाथ भगवान की मूलनायक प्रतिमा पर 108 रिद्धि मंत्रों से अभिषेक एवं स्वर्ण झारी से शांतिधारा की। इस दौरान माणक सोनी, कमलनयन पाटनी, ओमचंद रिखबचन्द बाकलीवाल, विनय कोठारी, दिनेश बज, नेमीचंद ठोलिया, विपिन रागांश सेठी, राकेश पहाड़िया, महावीर सेठी, महावीर काला ने अन्य प्रतिमाओं पर शांतिधारा की।

सामूहिक पूजन में उमड़ा श्रद्धालुओं का उत्साह

दस लक्षण पर्व में उत्तम आर्जव धर्म की पूजा की गई। इसमें श्रद्धालुओं ने सामूहिक रूप से भाग लिया। पूजा में राजेश देवी अग्रवाल, पुष्पा अजमेरा, बीना जैन, नीतू काला, वीणा मंगल, सीमा जैन, बीना सेठी, रचना बाकलीवाल, नमिता ठोलिया, मनोरमा पाटोदी, आशा छाबड़ा, वीणा सोनी, नीलिमा बडजात्या, प्रेमदेवी पाटनी सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए। ट्रस्ट के संयुक्त सचिव खेमराज कोठारी ने बताया कि 12 वर्षीय बालक इतिश ने अपने पिता नितिन दादा नरेश गोधा के साथ मिलकर मूलनायक आदिनाथ भगवान का प्रथम अभिषेक, 108 रिद्धि मंत्र अभिषेक एवं शांतिधारा की।