गंदगी व ओडीएफ का दाग, दस्तावेज नहीं होने से गंवा दिए 1800 अंक
भीलवाड़ाPublished: Nov 25, 2021 06:19:53 pm
स्वच्छता सर्वे में पिछडऩे की वजह
गंदगी व ओडीएफ का दाग, दस्तावेज नहीं होने से गंवा दिए 1800 अंक
भीलवाड़ा।
स्वच्छता सर्वे में शहर को ऊंची पायदान पर लाने के लिए जहां देशभर के नगर निकायों के अधिकारी पूरी तरह से सजग रहते हैं। हमारे जिम्मेदारों की नींद तक नहीं जागी। उन्होंने स्वच्छता एप पर दस्तावेज तक अपलोड नहीं किए। शहर को कचरा मुक्त नहीं कर सके तथा ओडीएफ का दर्जा हासिल नहीं कर सके। ऐसे में स्वच्छता सर्वे में 1800 अंक तो वैसे ही कट गए। बिगड़ी सफाई व्यवस्था, खुले में शौच और पब्लिक टॉयलेट की खस्ता हालत से फीडबैक और सर्विस में भी कम अंक हासिल कर पाए। हालांकि भीलवाड़ा शहर राज्य के दस शहरों में शामिल हो गया लेकिन सरकारी दस्तावेज में भीलवाड़ा का नाम ११वें स्थान पर है। ऐसे में भीलवाड़ा शहर पर फिर से गंदगी का दाग लग गया।
स्वच्छता सर्वे के 6000 नंबरों में से केवल १९५७ अंक मिले। इस बार सर्वे अलग कैटेगरी में किया गया। भीलवाड़ा नगर परिषद को एक से दस लाख तक की आबादी वाले शहरों में से २७३वीं रैंक मिली।
स्वच्छता में पिछडऩे के ये कारण
– खुले में शौच, पब्लिक टॉयलेट कंडम, घर में टॉयलेट बावजूद लोग खुले में शौच करते।
– डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण का शहर के ७० वार्ड में सिस्टम प्रोपर नहीं है।
– सीवरेज की बड़ी समस्या, सीवरेज की लाइन का काम चल रहा है।
– गीले-सूखे का अलग संग्रहण नही, अलग-अलग वाहन नहीं। टीपर में दो पार्ट पालना नहीं।
फिर भी ऐसा हाल
नगर परिषद हर साल सफाई के लिए करोड़ों रुपए का बजट पारित करती है। शहर को सात जोन में बांटा है। शहर के ७० वार्डो में सफाई का जिम्मा नगर परिषद के १२०६ सफाईकर्मियों के कंधों जबकि, १५० सफाईकर्मी ठेके पर है। हालात शहर के कचरा कलेक्शन पॉइंट से नियमित कचरा तक नहीं उठता। इस कारण ही डूंगरपुर, जयपुर, उदयपुर, जोधपुर, झालावाड, जैसलमेर, बीकानेर, पाली, अजमेर, कोटा, सीकर, चित्तौडगढ़, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़, बूंदी आगे है।
सुधारेंगे सफाई व्यवस्था
शहर में सफाई को लेकर पूरा ध्यान रखा जा रहा है। सात जोन में नगर परिषद के कर्मचारी और ठेके के कर्मचारी सफाई कर रहे हैं। सर्टिफिकेशन में कहां कमी रह गई इसकी मॉनिटरिंग कर सुधार किया जाएगा।
राकेश पाठक, सभापति नगर परिषद भीलवाड़ा