
डॉक्टरों की हड़ताल के छह दिन बीत जाने के बाद जिले की चिकित्सा व्यवस्थाएं लगातार बिगड़ती जा रही है।
भीलवाड़ा।
डॉक्टरों की हड़ताल के छह दिन बीत जाने के बाद जिले की चिकित्सा व्यवस्थाएं लगातार बिगड़ती जा रही है। सरकार की अपील के बावजूद निजी डॉक्टर काम करने को आगे नहीं आए है। भीलवाड़ा के महात्मा गांधी अस्पताल और मातृ एवं शिशु चिकित्सालय में दैनिक आधार पर एक भी डॉक्टर मरीजों को देखने नहीं आया है। जिले के सबसे बड़े महात्मा गांधी अस्पताल में 25 आयुष और 19 मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर्स आउटडोर और वार्ड में भर्ती मरीजों को संभाल रहे है, ये व्यवस्था शनिवार को भी रही।
रेस्मा के तहत शनिवार दोपहर तक पुलिस एक भी डॉक्टरों की गिरफ्तार नहीं कर पायी। इस समय जिले में करीब 206 सरकारी डॉक्टर हड़ताल पर चल रहे है। हड़ताल को देखते हुए आउटडोर में दिनोंदिन मरीजों की संख्या कम हो रही है। आउटडोर में शनिवार को भी अपेक्षाकृत कम मरीज देखे गए। राजकीय सेवारत चिकित्सक संघ के हड़ताल के कारण सोनोग्राफी नहीं हो पा रही है। एमजीएच में आयुष और मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर कमाल संभाले हुए जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र और प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों के तो हालात और बद्तर है। यहां चिकित्सकों के नहीं होने से मरीज परेशान है।
डॉक्टरों की हड़ताल के चलते सदूर गांवों में हालत खराब है। जिले के शाहपुरा जहाजपुर आसींद मांडलगढ़ गुलाबपुरा गंगापुर व बनेडा क्षेत्र में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में अव्यवस्था बनी हुई है। चिकित्सालयों में मरीजों की कतारें लगी है। कई जगहों पर आयुष चिकित्सक व कंपाउंडर सेवाएं दे रहे हैं। लेकिन इससे मरीजों की जान पर बन आई है। गौरतलब है कि डॉक्टरों की हड़ताल के चलते गत दिनों शाहपुरा में हार्ट रोगी को ताकत व एसीडीटी की दवा देने से रोगी की मौत हो गई थी। सबसे ज्यादा परेशानी प्रसूताओं व गंभीर रोग से ग्रस्त रोगियों को उठानी पड़ रही है। जिन्हें भीलवाड़ा रैफर किया जा रहा है।
Published on:
11 Nov 2017 02:39 pm
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