
पिछले साल एक जुलाई में लागू माल एवं सेवा कर (जीएसटी) कानून के तहत अब एक अप्रेल से ई-वे बिल सेवा लागू की जा रही है। सरकार ने कारोबारियों एवं ट्रांसपोर्टरों को ई-वे पोर्टल पर पंजीकरण कराने के लिए कहा है
भीलवाड़ा।
पिछले साल एक जुलाई में लागू माल एवं सेवा कर (जीएसटी) कानून के तहत अब एक अप्रेल से ई-वे बिल सेवा लागू की जा रही है। सरकार ने कारोबारियों एवं ट्रांसपोर्टरों को ई-वे पोर्टल पर पंजीकरण कराने के लिए कहा है। ई-वे बिल में 50 हजार रुपए से ज्यादा का माल एक राज्य से दूसरे राज्य या राज्य के अंदर भी भेजा जा रहा है तो ई-वे बिल अनिवार्य है।
ट्रांसपोर्ट के लिए 50 किलोमीटर तक के दायरे के लिए ई-वे बिल की आवश्यकता तो नहीं होगी, लेकिन पार्ट ए भरना होगा। जबकि पार्ट बी की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया गया है। कुछ राज्यों में अन्तरराज्यीय ट्रांसपोर्ट के लिए भी यह अनिवार्य होगा। आदेश के अनुसार कोई भी व्यक्ति जो अपने सामान व वस्तु को ट्रांसपोर्ट कर रहा है, वह भी जीएसटी कॉमन पोर्टल पर जाकर रजिस्ट्रेशन करवाकर ई-वे बिल जारी कर सकता है।
इसके लिए वेबसाइट पर जाना होगा। अगर इस साइट पर व्यक्ति रजिस्टर्ड है और 50 हजार रुपए से ज्यादा का सामान भेज रहा है, तो उसे पार्ट ए का ई-वे बिल 01 फार्म भरना होगा। अगर सामान भेजने वाला कारोबारी रजिस्टर्ड नहीं है और सप्लाई प्राप्त करने वाला कारोबारी रजिस्टर्ड है, तो उसे भी फार्म भरना होगा। दोनों ही के रजिस्टर न होने पर सामान की सप्लाई करने वाले ट्रांसपोर्टर को यह फॉर्म भरना होगा।
ऐसे करें बिल जनरेट
यदि कोई ट्रांसपोर्टर पोर्टल पर रजिस्टर्ड नहीं है, तो वह जीएसटी कॉमन पोर्टल पर पहले अपना रजिस्टेशन करवाए, इसके बाद वह भी अपने ग्राहकों के लिए ई-वे बिल जारी करने के योग्य हो जाएगा। ई-वे बिल तभीजनरेट कर सकते हैं, जब सरकार की आधिकारिक वेबसाइट पर रजिस्टर्ड होंगे। यदि ट्रांसपोर्टर रजिस्टर्ड नहीं है, तो उसका ई-वे बिल पोर्टल पर एनरॉल होना जरूरी है।
इसके लिए उसके पास टैक्स एनवॉइस, बिल या डिलीवरी चालान और वस्तु व सामान ट्रांसपोर्ट कर रहे ट्रांसपोर्टर की आईडी होना जरूरी है। यदि जनरेट किए गए ई-वे बिल में किसी भी तरह की गलती हो जाती है, तो उसे सुधार नहीं सकते हैं। ऐसी स्थि?ति में पुराना ई-वे बिल कैंसिल करना होगा और नया ई-वे बिल फिर से जनरेट करना होगा। ई-वे बिल लगभग सभी उत्पादों के लिए जरूरी है। सिर्फ वे उत्पाद इसमें शामिल नहीं होंगे, जो नियम और सरकारी अधिसूचना की कारण सूची से बाहर रखे गए हैं।
Published on:
01 Apr 2018 01:03 pm
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