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शिक्षा विभाग का नवाचार: प्लास्टर ऑफ पेरिस से बन रही मूर्तियों पर रोक की कवायद

स्कूल स्तर पर चलेगा जागरुकता अभियान

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Efforts to ban statues made from plaster of Paris

Efforts to ban statues made from plaster of Paris

प्लास्टर ऑफ पेरिस (पीओपी) से बनी मूर्तियों व सजावटी कलाकृतियों के बढ़ते उपयोग को लेकर शिक्षा विभाग ने चिंता जताई है। पर्यावरण और खासकर जल स्रोतों पर इसके दुष्प्रभावों को देखते हुए विभाग ने प्रदेश के सभी विद्यालयों में विशेष जागरुकता अभियान चलाने का निर्णय किया है। यह अभियान मिशन लाइफ के तहत गठित इको क्लबों के माध्यम से चलाया जाएगा। विशेषज्ञों के अनुसार पीओपी पूरी तरह गैर-जैव अपघटनीय है और पानी में नहीं घुलता। विसर्जन के दौरान इसमें मौजूद जिप्सम और रासायनिक रंगों से निकलने वाली भारी धातुएं जलाशयों को गंभीर रूप से प्रदूषित करती हैं। इससे जल में ऑक्सीजन का स्तर घटता है। इसी कारण विभाग ने प्राकृतिक और जैव-अनुकूल सामग्रियों से बनी मूर्तियों को प्रोत्साहित करने पर जोर दिया है, जो पानी में आसानी से घुलकर पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचातीं।

इको क्लबों को मिले निर्देश: शिक्षा विभाग ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश जारी कर कहा है कि स्कूलों में पीओपी से होने वाले नुकसान पर जागरुकता बढ़ाई जाए। इसके तहत वाद-विवाद और समूह चर्चा, पोस्टर एवं स्लोगन प्रतियोगिता, सामुदायिक आउटरीच कार्यक्रम तथा व्यावहारिक कार्यशालाएं आयोजित की जाएंगी।

विभागीय निर्देशों में कहा गया है कि इन गतिविधियों से विद्यार्थियों में पर्यावरण के प्रति सम्मान और संवेदनशीलता बढ़ेगी। जिला शिक्षा अधिकारी (माध्यमिक) राजेन्द्र गग्गड़ ने कहा कि त्योहारों में पीओपी का उपयोग रोकने के लिए जन-जागरुकता आवश्यक है और स्कूल इस दिशा में सबसे प्रभावी मंच साबित हो सकते हैं।