poppy seeds किसान उगाएंगे अफीम, डोडे ले जाएगी कम्पनी
भीलवाड़ाPublished: Nov 26, 2021 09:16:31 pm
विदेशों की तर्ज पर सीपीएस पद्धति से खेती की कवायदतीन जिलों के 1433 किसानों को दिए लाइसेंस
poppy seeds किसान उगाएंगे अफीम, डोडे ले जाएगी कम्पनी
जयप्रकाश सिंह
भीलवाड़ा.
poppy seeds विदेशों की तर्ज पर नारकोटिक्स विभाग परम्परागत खेती के साथ इस बार प्रायोगिक तौर पर सीपीएस पद्धति से अफीम की खेती करा रहा है। इसमें किसान लाइसेंस के तहत निर्धारित जमीन पर अफीम बोएंगे। इस पर लगे डोडे नारकोटिक्स विभाग की ओर से अनुबंधित कंपनी ले जाएगी और वह सीपीएस तकनीक से डोडे से अफीम निकालेगी। किसान को फ सल का एकमुश्त पैसा मिलेगा। वह अफीम का पोस्तदाना और डोडा चूरा भी नहीं रख पाएगा। यदि यह प्रयोग सफ ल रहा तो भविष्य में देश में अफीम की खेती इसी पद्धति से होने लगेगी।
नारकोटिक्स विभाग ने इस पद्धति से खेती के लिए भीलवाड़ा, चित्तौडग़ढ़ और प्रतापगढ़ के 1433 किसानों को 6 आरी का पट्टा जारी किया है। हरे रंग का यह पट्टा उन्हीं किसानों को दिया गया, जिनके गत वर्ष अफीम में मार्फिन की मात्रा प्रति हैक्टेयर 3.7 से 4.2 किलोग्राम तक रही है। अधिकांश अफीम उत्पादक किसान इस पद्धति का विरोध कर रहे हैं। जानकारों के अनुसार आस्ट्रेलिया समेत कई देशों में सीपीएस पद्धति से अफीम की खेती की जा रही है। वहां अफीम की गुणवत्ता बेहतर रही है। इस पद्धति में डोडे से सीधे अफीम निकालने की प्रक्रिया होती है। इससे निकले अफीम में मार्फिन, कोडिन फ़ास्टेट और अन्य रसायन की गुणवत्ता बहुत अच्छी रहती है। कई देशों की दवा कंपनियां आस्ट्रेलिया से अफीम व उससे जुड़े रसायन मंगवा रही है। भारत में परम्परागत खेती के तहत डोडे में चीरा लगाकर उसका दूध बर्तन में इकठ्ठा किया जाता है। यह दूध अफीम बनने के बाद नारकोटिक्स विभाग को दिया जाता है।
नहीं मिलेगा पोस्तदाना और न ही डोडा चूरा
वर्तमान में किसान खेत में निकली सारी अफीम नारकोटिक्स विभाग को बेचता है। विभाग गुणवत्ता के हिसाब से 870 रुपए से 3500 रुपए किलोग्राम तक भुगतान करता है। किसानों को पोस्तदाना मिलता है। इससे उनकी लागत निकल जाती है। 2015 के बाद राज्य सरकार ने डोडा चूरा की खरीद बंद कर दी। अब किसानों को डोडा चूरा नष्ट करना पड़ता है। ऐसे में कई किसानों से तस्कर इसे मुहंमांगी कीमत पर खरीद ले जाते हैं। नई पद्धति में खेत में फ सल से डोडा ले जाने पर किसानों को पोस्तदाना नहीं मिलेगा और न ही डोडा चूरा मिलेगा।
तस्करी पर लगेगा लगाम
जानकारों का कहना है कि यदि देश में अफीम की पूरी खेती सीपीएस पद्धति से की जाती है तो भविष्य में इसकी तस्करी पर अंकुश लग जाएगा। न तो अफीम में मिलावट हो सकेगी और न ही इसकी तस्करी। डोडा चूरा की तस्करी पर भी रोक लगेगी। सरकार धीरे-धीरे इसका रकबा भी बढ़ाएगी।
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भ्रष्टाचार को मिलेगा बढ़ावा
सीपीएस पद्धति से भ्रष्टाचार बढ़ेगा। किसानों को फ सल के बदले कितनी राशि मिलेगी, यह स्पष्ट नहीं है। करीब 15 साल पहले भी विभाग ने कुछ गांवों में यह प्रयोग किया था लेकिन नतीजे अच्छे नहीं आए थे। सरकार विदेशों से अफीम आयात करने के बजाय देश में इसका रकबा बढ़ाएं। ईमानदार किसानों को अधिक आरी के पट्टे दिए जाएं। पहले देश में 1700 टन अफीम का उत्पादन होता था, जो अब 410 टन रह गया है। बद्रीलाल तेली, अध्यक्ष अफीम किसान संघर्ष समिति चित्तौड़ प्रांत
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48 पट्टे कर चुके जारी
हमें उच्च स्तर से 3.7 से 4.2 किलोग्राम तक उपज देने वाले किसानों को सीपीएस पद्धति से पट्टे जारी करने निर्देश मिले हैं। भीलवाड़ा खण्ड में 48 किसानों को इसके तहत पट्टे जारी किए। केएल छापरिया, जिला अफीम अधिकारी भीलवाड़ा
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जिला कुल पट्टे सीपीएस के पट्टे
चित्तौडग़ढ़ 15755 535
प्रतापगढ़ 7646 850
भीलवाड़ा 5639 48