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कुछ नया करने की चाह में महका दी केशर की क्यारी, दूसरे किसानों के लिए बने प्रेरणास्रोत

जिंदगी में कुछ नया करने की चाह रखने वाले राजेन्द्रसिंह हाडा क्षेत्र के किसानों के लिए प्रेरणा बन गए हैं।

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Farming of saffron in bhilwara

Farming of saffron in bhilwara

अशोक साहू. मांडलगढ़।

जिंदगी में कुछ नया करने की चाह रखने वाले राजेन्द्रसिंह हाडा क्षेत्र के किसानों के लिए प्रेरणा बन गए हैं। भीलवाड़ा व बूंदी जिले की सीमा पर हिंडोली तहसील की नेगढ़ पंचायत के रामपुरिया गांव निवासी 55 वर्षीय हाडा ने क्षेत्र में पहली बार केशर की पैदावार लेने में सफलता प्राप्त की है।

हाडा बताते हैं कि 1982 में ग्यारहवीं तक पढ़ाई करने के बाद घर वालों की पुश्तैनी जमीन में कार्य कर जीवनयापन करने लगे। संतरे का बगीचा लगाया। पशुपालन करने लगे। डाबी माइंस पर मिले हिंडौनसिटी निवासी गोविंद यादव ने उनको केशर की खेती की जानकारी दी। इस पर हाडा ने खेत तैयार करने के बाद यादव के माध्यम से 12 बिस्वा में बुवाई के लिए 20 हजार रुपए का बीज मंगवाया।

बुवाई के बाद चार बार निराई-गुड़ाई व 15 बार सिंचाई करने के बाद फसल तैयार हुई। वर्तमान में फूल तोड़े जा रहे हैं। हाडा ने फसल तैयार होने तक कीटनाशक छिड़काव एवं रोगों के बचाव के लिए जम्मू से केजी पंडित नाम के व्यक्ति को छह बार बुलाया। उनको प्रत्येक बार दवा छह-छह हजार रुपए का भुगतान किया। बुवाई से उपज लेने तक एक लाख रुपए से अधिक की राशि का खर्चा आएगा। खेती में हाडा के 23 वर्षीय पुत्र पृथ्वी सिंह ने भी पूरा सहयोग किया।

सितम्बर में बुवाई

राजेंद्र ने बताया कि अच्छी पैदावार के लिए सितंबर के प्रथम सप्ताह में केशर की बुवाई करनी चाहिए, ताकि फसल को लिए पर्याप्त सर्दी मिले। एक बीघा खेत में आधा किलो बीज चाहिए। पौधे 2-2 फीट की दूरी पर हों और खरपतवार बिल्कुल नहीं पनपे इसका ध्यान रखना होता है। खेत में पानी नहीं भरे, लेकिन नमी बरकरार रहनी चाहिए।

रासायनिक खाद का उपयोग नहीं

केशर की फसल में डीएपी, यूरिया या अन्य रासायनिक खाद का उपयोग नहीं किया जाता है। सिर्फ देसी गोबर की खाद का उपयोग उपयुक्त रहता है। फसल तैयार होने में करीब साढ़े पांच माह लगते हैं। हाडा के अनुसार 12 बिस्वा रकबे में करीब 15 किलो कच्चा माल मिलने की संभावना है। दिल्ली मंडी में उपज के प्रतिकिलो 50 हजार रुपए मिल जाते हैं। गे्रडिंग के बाद दो लाख प्रतिकिलो तक मिल सकते हैं।

फसल लेने का तरीका

अफीम की तरह केशर में भी पौधे पर डोडा आता है। इसमें से निकले फूलों को चुनकर छाया में सुखाया जाता है। फूल चुनने के बाद डोडे को तोड़कर बीज प्राप्त किया जाता है। बीज का भाव 30 से 40 हजार रुपए प्रतिकिलो है। यह नीबू के बीज की तरह दिखता है।