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राजस्थान की इस नगर परिषद में पांच साल में बदल गए चार सभापति, विवादों में बीत गया कार्यकाल

locationभीलवाड़ाPublished: Jul 01, 2020 10:57:56 am

Submitted by:

jasraj ojha

patrika.com/rajsthan news

राजस्थान की इस नगर परिषद में पांच साल में बदल गए चार सभापति, विवादों में बीत गया कार्यकाल

राजस्थान की इस नगर परिषद में पांच साल में बदल गए चार सभापति, विवादों में बीत गया कार्यकाल

जसराज ओझा भीलवाड़ा. प्रदेश में संभवतया भीलवाड़ा एेसी नगर परिषद होगी जिसमें पांच साल के कार्यकाल में चार सभापति बदल गए। कभी भ्रष्टाचार की आंच तो कभी घटिया निर्माण के विवाद। सभापति व पार्षदों में खींचतान तो आयुक्त व सभापति में अनबन। पूरे पांच साल एेसे नाटक चले कि मूल काम ही भूल गए। इन विवादों के चलते पार्षदों को ही अपने अधिकार नहीं मिल सके। किसी भी सभापति ने नगर परिषद में पार्षदों की कमेटियां नहीं बनाई है। अब तो अगस्त में इस बोर्ड का कार्यकाल ही पूरा होने वाला है। एेसे में किसी ने इन कमेटियों पर ध्यान नहीं दिया है। स्थिति यह है कि इस बोर्ड में पहले भाजपा के टिकट पर ललिता समदानी सभापति बनी। कुछ समय बाद इनकी आयुक्त व पार्षदों के अनबन हो गई। फिर भाजपा नेताओं से अनबन पर समदानी को पार्टी से निकाल दिया। फिर निलंबित कर दिया और दीपिकाकंवर को सभापति बना दिया। वे स्थगन से फिर सभापति बनी और कांग्रेस में चली गई। इस पर भाजपा अविश्वास प्रस्ताव ले आई। कांग्रेस सरकार ने मंजू पोखरना को सभापति बनाया। वे नौ दिन रही और वापस उपचुनाव में मंजू चेचाणी सभापति चुनी गई है। एेसे में कमेटियां भी नहीं बन सकी।
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ये रहे प्रमुख विवाद
कभी ऑटो टिपर खरीद विवाद रहा तो कभी सभापति चैंबर के निर्माण का। सफाईकर्मी भर्ती से लेकर अन्यत्र जगह काम कराने के विवाद हुए। मामले एसीबी में भी दर्ज हुए। बयान हुए लेकिन अभी तक कार्रवाई कुछ नहीं हुई है। बस नुकसान यह हुआ है कि शहर के विकास को पंख नहीं लग सके। केवल विवादों में ही कार्यकाल निकल गया।
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पार्षद करते रहे मांग
21 अगस्त 2015 को नगर परिषद सभापति ललिता समदानी ने कार्यभार संभाला था। 90 दिन में नगर परिषद में वित्त, स्वास्थ्य एवं स्वच्छता समिति, भवन अनुज्ञा, गंदी बस्ती सुधार समिति सहित छह समितियां बनाने का प्रावधान है। समयावधि निकलने के बावजूद समितियां नहीं बनने के कारण काम प्रभावित हुआ। निर्धारित समयावधि निकलने के बाद ये अधिकार राज्य सरकार के अधीन गए हैं लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। इसके लिए पार्षद मांग भी करते रहे।
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कमेटियां बनाने के लिए चर्चा हुई थी पर किसी ने साथ ही नहीं दिया। बेवजह विवाद के कारण समय निकल गया। मेरे कार्यकाल में पार्षदों को साथ लेकर ही काम किया गया। कुछ लोगों ने अपने स्वार्थों की वजह से विवाद पैदा किए।
ललिता समदानी, पूर्व सभापति नगर परिषद
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केवल नौ दिन का ही समय मिला। इसमें मैने लगभग शहर के सभी वार्डों के दौरे कर जनसमस्याएं सुनी थी। कई लोगों के काम अटके हुए थे उनको पूरा किया।
मंजू पोखरना, पूर्व सभापति नगर परिषद
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मैं नगर परिषद में ३८ दिन सभापति रही। उस वक्त आचार संहिता थी तो कमेटियों पर चर्चा नहीं हो सकी। फिर भी हमने कई जरूरी काम किए। जनता कई समय से परेशानी थी उनकी समस्याओं का निस्तारण किया।
दीपिकाकंवर, पूर्व सभापति परिषद
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१८ दिसंबर को मैने कार्यभार संभाला। विवादों के कारण जो काम अटके हुए थे उनको पूरे किए। फिर कोरोना लग गया तो दूसरे कामों में लग गए। एेसे में कमेटियों के गठन पर चर्चा नहीं हो सकी।
मंजू चेचाणी, सभापति नगर परिषद
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