चम्बल के पानी को तरस रहे भीलवाड़ा के आधे गांव
जिला प्यास ना रह जाए, इसके लिए चम्बल भीलवाड़ा जलप्रदाय परियोजना पर जिले की उम्मीद टिक गई है। जिले में मानसून की मेहर गत दो साल से नहीं होने से ग्रामीण अंचल में गहराए पेयजल संकट को दूर करने के लिए जलदाय विभाग भी चम्बल के पानी पर व्यवस्थाओं की पाल बांध कर बैठा है।

भीलवाड़ा। जिला प्यास ना रह जाए, इसके लिए चम्बल भीलवाड़ा जलप्रदाय परियोजना पर जिले की उम्मीद टिक गई है। जिले में मानसून की मेहर गत दो साल से नहीं होने से ग्रामीण अंचल में गहराए पेयजल संकट को दूर करने के लिए जलदाय विभाग भी चम्बल के पानी पर व्यवस्थाओं की पाल बांध कर बैठा है। परियोजना के तहत जिले में चयनित 1688गांवों में से 981 में पानी पहुंच चुुका है, जबकि शेष गांवों को चम्बल का पानी पिलाने के लिए परियोजना के जरिए सरकारी मशीनरी पाइप लाइन बिछाने, उच्च क्षमता की टंकियां बनाने व स्टोरज टैंक बनाने के कार्यों को तय समय में पूरा करने के लिए मशक्कत कर रही है। इसी प्रकार नगरीय क्षेत्रों में जहाजपुर को छोड़कर शेष नगर पालिका क्षेत्र में चम्बल का पानी पहुंच चुका है।
पांच वर्ष पूर्व तक जिला पेयजल संकट से जुझ रहा था, जिले के समस्त ११ भूजल ब्लॉक अत्याधिक दोहन की श्रेणी में होने एवं गुणवत्ता प्रभावित होने से पेयजल की गंभीर स्थिति बनी हुई थी। शहर एवं जिले की प्यास बुझाने के लिए कई बार जिला प्रशासन को वाटर ट्रेन का सहारा लेना पड़ा। जिले का एक मात्र सतही स्त्रोत मेजा बांध में कई वर्षों से बारिश की अनुकूल स्थिति ना होने के कारण पानी की आवक ना हो पा रही थी। ऐसे में राज्य सरकार ने जिले की पेयजल समस्या के स्थाई समाधान के लिए बारहमासी चम्बल नदी आधारित पेयजल परियोजना मंजूर की।
वर्ष 2045 तक की संभावित मांग
परियोजना के कार्यों की स्वीकृति दो चरणों में हुई। प्रथम चरण के अन्तर्गत जिले के भीलवाड़ा,गुलाबपुरा, गंगापुर, मांडलगढ़, मांडल, आसीन्द, जहाजपुर, शाहपुरा तथा बिजौलियां कस्बे एवं 1688 ग्रामों के साथ बूंदी जिले की राह में पडऩे वाले 25 ग्रामों के लिए आधार भूत ढांचा तैयार करना तथा भीलवाड़ा शहर की पेयजल व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए भीलवाड़ा शहर की पेयजल वितरण व्यवस्था की कार्य योजना बनाई गई। द्वितीय चरण में मैन ट्रांसमिशन से जिले के अन्य नौ कस्बों तक पाइप लाइन बिछाकर जल आपूूर्ति करना था। चम्बल-भीलवाड़ा पेयजल परियोजना को वर्ष 2045 की संभावित मांग को देखते हुए सतही स्तर पर उतारने की कार्ययोजना बनी है। योजना के प्रथम चरण के लिए १०२० करोड़ व द्वितीय चरण के लिए 1495.68 करोड़ की प्रशासनिक राशि प्रस्तावित की गई।
शहर में 2016 से आपूर्ति
जिले में अभी तक सात कस्बे व 981 गांवों में चम्बल का पानी पहुंच चुका है। परियोजना पर प्रथम चरण मेें 803.85करोड़ व द्वितीय चरण में 1615.56 करोड़ रुपए व्यय हो चुका है। भीलवाड़ा शहर को 7 नवम्बर 2016 से शुद्ध पेयजल आपूर्ति की जा रही है। लेकिन शहर की ५१ नई कॉलोनियों को भी चम्बल का पानी मिले, इसके लिए जिला प्रशासन प्रयासरत है
कलस्टरों में कामों को गति
आसीन्द कलस्टर में आसीन्द कस्बा एवं सभी २०५ ग्रामों में चम्बल परियोजना से जल आपूर्ति की जा रही है। मांडल कलस्टर में मांडल कस्बा व तहसील के 188 गांवों में पानी पहुंच रहा है। गुलाबपुरा कलस्टर में गुलाबपुरा कस्बा व 50 गावों में जलआपूर्ति हो रही है। गंगापुर कलस्टर में रायपुर, सहाड़ा व सुवाणा शामिल है। यहां अभी दो गांव सीधे जुड़ चुके है। शाहपुरा कलस्टर में शाहपुरा कस्बा व तहसील के सभी 150 गांवों में पेयजल आपूर्ति शुरू हो चुकी है। कोटड़ी कलस्टर में तहसील के सभी 150 गांवों को नियमित पानी मिल रहा है। जहाजपुर कलस्टर में 213 में से 56 गांव लाभांवित हो चुके है।
साल के अंत तक प्रत्येक गांव में पानी
चम्बल परियोजना का पानी समूचे जिले में पहुंचे, इसके लिए 31 दिसम्बर 2021 तक सम्पूर्ण कार्य पूर्ण करने का लक्ष्य है। भीलवाड़ा शहर में चम्बल का पानी पूर्व नियोजित प्लान के तहत पहुंच रहा है। जिले की छह नगर पालिकाओं में से जहाजपुर को छोड़ कर शेष में चम्बल के पानी की आपूर्ति हो रही है। जहाजपुर नगरीय क्षेत्र में मार्च २०२१ तक पानी की आपूर्ति सुनिश्चित हो जाएगी। इसी प्रकार जहाजपुर कलस्टर में 80 फीसदी काम पूर्ण हो चुका है। मांडलगढ़ में 7० फीसदी तथा हुरड़ा व बनेड़ा में 60 फीसदी काम हो चुका है। रायपुर, सहाड़ा, गंगाुपर व सुवाणा कलस्टर में काम को गति दी है। यहां भी 60 फीसदी कार्य पूर्ण होने की स्थिति में है। कुल मिला कर जिले में 75 फीसदी काम पूर्ण हो चुका है और कलस्टरों में बकाया कार्यों को पूर्ण करने के लिए अनुबंधित एजेसिंयों की टीम लगी हुई है
पारितोष गुप्ता, अधीक्षण अभियंता, चम्बल भीलवाड़ा जलप्रदाय परियोजना
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