
High court bans payment of workers in bhilwara
भीलवाड़ा .
केन्द्रीय गृहमंत्रालय की ओर से अप्रेल माह में जारी एडवाइजरी पर उच्चतम न्यायालय ने फिलहाल रोक लगा दी है। मंत्रालय ने उद्योगों को लॉकडाउन की अवधि में श्रमिक को वेतन भुगतान के लिए कहा गया था। न्यायालय ने केन्द्र एवं राज्य सरकार को आदेश दिया है कि अग्रिम आदेश तक लॉकडाउन की अवधि में वेतन भुगतान के संबंध में कोई नया आदेश जारी नही करे। वेतन भुगतान नही करने की स्थिति में उद्योगों के खिलाफ कोई दण्डात्मक कार्यवाही भी नही करें।
१२ मई को जारी किया भ्रमित आदेश
मेवाड चेम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इण्डस्ट्री के महासचिव आरके जैन ने बताया कि गृहमंत्रालय ने एडवाइजरी जारी कर लॉकडाउन की अवधि में श्रमिकों को भुगतान की सलाह दी थी। कई उद्योग एवं औद्योगिक संगठनों ने इसके खिलाफ उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की थी। जिस पर उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को यह आदेश जारी किया। जैन ने बताया कि भीलवाड़ा श्रम विभाग के उपश्रम आयुक्त ने 12 मई के परिपत्र जारी कर उद्योगों को वेतन भुगतान करने के आदेश दिए। इससे भ्रम की स्थिति पैदा हो गई। मेवाड चेम्बर ने उपश्रम आयुक्त को पत्र लिखकर यह बताया कि राज्य के अतिरिक्त मुख्य सचिव, उद्योग एवं एमएसएमई विभाग ने २९ अप्रेल को श्रमिकों के अप्रेल माह की मजदूरी के भुगतान के संबंध में एडवाजरी जारी की थी। ३० अप्रेल को राज्य के मुख्य सचिव डीबी गुप्ता ने इस एडवाइजरी के संबंध में स्पष्टीकरण देते हुए कहाकि उद्योगों की स्थिति अच्छी नही है, राज्य सरकार ने केवल एडवाजरी जारी की है। उद्योगों से उन्होंने श्रमिकों को उनके जीवन यापन के लिए कुछ निर्वहन भत्ता देने की एडवाइजरी दी थी। उसके बाद मुख्यमंत्री ने वीडियों कॉन्फ्रेस में देश के प्रधानमंत्री से श्रमिकों का अप्रेल माह का भुगतान ईएसआईसी फंड से देने का आग्रह किया था। 7 मई को औद्योगिक संगठनों की वीडियों कॉन्फ्रेस में मुख्यमंत्री को सारी स्थिति से अवगत कराया था। श्रम विभाग के सचिव ने भी स्पष्ट किया था कि सरकार ने केवल एडवाइजरी जारी की है।
उद्यमियों ने १९ अप्रेल को कहा था नहीं कर सकेंगे भुगतान
जैन ने बताया कि १९ अप्रेल को जिला कलक्टर के साथ बैठक में विभिन्न संगठनों ने साफ कर दिया था कि भीलवाडा में उद्योग लॉकडाउन के कारण 20 मार्च से पूर्णतया बन्द है। सरकार की एडवाइजरी के अनुसार मार्च का श्रमिकों एवं कर्मचारियों के वेतन का भुगतान कर दिया है। लेकिन अब उद्योगों के बन्द रहने, गम्भीर आर्थिक संकट के मध्यनजर श्रमिकों एवं कर्मचारियों का वेतन 1 अप्रेल से जब तक उद्योगों में उत्पादन आरम्भ नही हो जाता, भुगतान करना संभव नही है। श्रमिकों ने भी स्थिति को समझकर निर्वाहन भत्ता स्वीकार कर, विभिन्न उद्योगों में काम पर लौटे है।
सीटू यूनियन के ओमप्रकाश देवाणी ने कहा कि सरकार की ओर से जो लाकँडाउन वेतन का आदेश था उस पर रोक नही है ऑफ एक्शन पर रोक लगाई है। वेतन भुगतान पर रोक नही लगाई है। बोम्बे हाई कोर्ट ने काम नही तो वेतन नही के सिद्धांत के तहत मालिकों द्वारा लगाई गई पिटीशन खारिज कर दी।
Published on:
15 May 2020 11:17 pm
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