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जिंदगी और मौत से तीन घंटे तक जूंझती रही प्रसूता, खून के लिए ३ घंटे तक लगाए चक्कर, आखिर परिजन के गांव से आने पर ही मिल पाया खून

मातृ एवं शिशु चिकित्सालय में गर्भवती महिला खुद को रक्त चढाने के लिए अस्पताल में करीब तीन घंटे तक चक्कर लगाती रही

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Hospital negligence in bhilwara

Hospital negligence in bhilwara

भीलवाड़ा।

मातृ एवं शिशु चिकित्सालय में सोमवार को गर्भवती महिला खुद को रक्त चढाने के लिए अस्पताल में करीब तीन घंटे तक चक्कर लगाती रही। जानकारी नहीं होने से उसे व उसकी काकी सास को न ब्लड बैंक मिला और न ही रक्तदाता। परेशान होकर गर्भवती ने देवर को अस्पताल बुलाया। करीब चार घंटे बाद शाम को उसे चिकित्सक के लिखने पर रक्त उपलब्ध हो सका।

अस्पताल में एेसी ही लापरवाही सोमवार को उजागर हुई। मरीज के साथ कोई रक्तदाता नहीं होने पर चिकित्सक मरीज को बिना रिपलेसमेंट के रक्त उपलब्ध कराने को लिखता है लेकिन एेसा नहीं हुआ। अस्पताल के लेबर रूम में प्रसव के लिए भर्ती लक्ष्मीपुरा (माण्डलगढ) की पूजा (25) पत्नी पवन कुमार रेगर को प्रसव के लिए दोपहर पौने एक बजे लेबर रूम ले जाया गया। अस्पताल स्टाफ ने हिमोग्लोबिन 5 होने पर उसकी सास को खून की व्यवस्था के लिए कह दिया। सास ने रक्तदाता नहीं होने की बात कही। फिर भी रक्त मुहैया नहीं कराया गया। करीब तीन घंटे तक काकी सास बहू को लेकर अस्पताल के चक्कर लगाती रही लेकिन उसे यह बताने वाला कोई नहीं मिला कि खून का बंदोबस्त कहां से होगा। परेशान महिला ने देवर को गांव से बुलाया। जानकारी लगने पर डे डयूटी पर मौजूद डॉ. फरजाना सिद्धकी ने चैरेटी कर तत्काल उसे रक्त उपलब्ध कराया। उसे रक्त चढाया गया। देर रात तक महिला का प्रसव नहीं हुआ।

'इनका कहना है

महिला का रक्त ग्रुप बी पॉजीटिव था। ब्लड बैंक में इस ग्रुप का रक्त कम होने से मना कर दिया। उसे मैंने एक यूनिट रक्त चैरेेटी कर दिया। महिला को उसकी अटैनर ही साथ लेकर घुम रही थी। महिला के प्रसव में भी देरी थी।

डॉ. फरजाना सिद्धकी, गायनिक चिकित्सक

दोषियों पर करेंगे कार्रवाई
गर्भवती महिला के साथ अगर एेसा हुआ है तो मामले की जांच कराएंगे और दोषी कर्मचारी व अधिकारी के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई करेंगे।

डॉ. एसपी आगीवाल,प्रमुख चिकित्साधिकारी