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दस लक्षण पर्व पर क्षमा धर्म का महत्व, क्रोध का घाव जीवनभर नहीं भरता

दिगंबर जैन समाज के दस लक्षण पर्व का पहला दिन

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Importance of forgiveness on Das Lakshan Parv, the wound of anger does not heal for a lifetime

Importance of forgiveness on Das Lakshan Parv, the wound of anger does not heal for a lifetime

भीलवाड़ा जिले में दिगंबर जैन समाज में प्रारंभ हुए दस लक्षण पर्व के प्रथम दिन गुरुवार को आदिनाथ दिगंबर जैन मंदिर में धार्मिक अनुष्ठानों के साथ प्रवचन हुए। पं. राहुल जैन शास्त्री (सागर) ने कहा कि दस लक्षण पर्व सब जन के कल्याण की क्रांति लाने वाले पर्व होते हैं। इनका उद्देश्य संसार के सभी प्राणियों के प्रति क्षमा धारण करना है। क्रोध रूपी कषाय यदि छह माह तक बनी रहती है तो वह अनंतानुबंधी बन जाती है, जो कई भवों तक समाप्त नहीं होती। चोट का घाव तो शीघ्र भर जाता है, लेकिन क्रोध इतना गहरा घाव करता है कि जीवनभर नहीं भरता। उत्तम क्षमा धर्म के सर्वोत्तम धारक दिगंबर मुनिराज होते हैं, जो विपरीत परिस्थितियों में भी बिना प्रतिक्रिया दिए क्षमा धारण करते हैं।

सुबह से उमड़े श्रद्धालु

मंदिर ट्रस्ट के उपाध्यक्ष चैनसुख शाह ने बताया कि सुबह छह बजे से ही बड़ी संख्या में श्रावक अभिषेक के लिए उमड़ पड़े। कतारबद्ध होकर सैकड़ों श्रावकों व बच्चों ने भगवान आदिनाथ सहित अन्य प्रतिमाओं का अभिषेक किया। इस दौरान नरेश-नितिन-पीयूष गोधा ने मूलनायक प्रतिमा पर 108 रिद्धि मंत्र से अभिषेक कर स्वर्ण झारी से शांतिधारा की। ओमचंद, रिखबचंद, अजय, संजय व रोहित बाकलीवाल ने शांतिनाथ भगवान पर शांतिधारा की। वहीं सनतकुमार अजमेरा, अशोक बड़जात्या, बालचंद सुशील शाह, राकेश ठोलिया, पारस-अभिषेक सोनी, विनोद, प्रकाश-प्रवीण पहाड़िया, रमेश मित्तल व राकेश पहाड़िया ने अन्य प्रतिमाओं पर शांतिधारा की।

भक्ति नृत्य ने बांधा समा

वीणा मंगल, सुरेंद्र गोधा व पं. राहुल जैन शास्त्री के संयोजन में सामूहिक पूजन हुआ। इस अवसर पर कमला देवी अग्रवाल, मृदुला सेठी, कमला देवी कासलीवाल, किरण पाटनी, अनिता शाह, लीना शाह, निर्मला सेठी, शोभा जैन, अनिता पाटनी, मनीषा गोधा, ऊषा गोधा, रेखा बिलाला, मंजू ठोलिया, इन्द्रा अग्रवाल, नीना पंचोली, प्रतिभा गंगवाल आदि ने भक्ति नृत्य प्रस्तुत किए।