
बाबुल तेरे आंगन की इक गुडिय़ा चंचल सी हो
माण्डल (भीलवाड़ा)।
राजस्थान लोक कला केन्द्र के तत्वावधान में पूर्व प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी की पुण्यतिथि पर गुरुवार रात कस्बे की सब्जी मण्डी में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया।
कवियों ने कविता पाठ, हास्य व्यंग से श्रोताओं को खूब आनंदित किया। कवि सम्मेलन की शुरुआत कवियत्री जोधपुर की आयुषी राखेचा ने सरस्वती वन्दना से की। बेटियों को समर्पित 'गुलमोहर के गुल सी हो इक गुल की बुलबुल सी हो, काश्मीर की नर्म बर्फ या ढाका की मलमल सी हो बाबुल तेरे आंगन की इक गुडिय़ा चंचल सी होÓ पेश की। शक्करगढ के राजकुमार बादल ने हास्य-व्यंग की रचनाएं पेश कर श्रोताओं को लोटपोट कर दिया। नाथद्वारा के कानू पण्डित ने जिन्दगी में लाख ऊंची हो उड़ान तेरी, परिवार के प्रति फर्ज मत भूलना.., खुद की जवानी तेरी जिन्दगी को दे दी प्यारे, ऐसे बूढ़े पिता का कर्ज मत भूलना... पेश कर श्रोताओं को बांधे रखा।
राजेन्द्र गोपाल व्यास ने 'कैसे निकला होगा दम, लेखनी कहे गोलियों के घाव सिंहनी ने जब सहे, गिरते गिरते देश को पुकारती रही रक्षक की करतूतों को निहारती रही..., गुलाबपुरा के रशीद निर्मोही, अजीज जख्मी ने भी कविता पाठ किया। पूर्व में कांगे्रस के जिला उपाध्यक्ष दुर्गपाल ङ्क्षसह व पूर्व जिलाध्यक्ष कैलाश व्यास ने इन्द्रिरा गांधी की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित किए।
Published on:
01 Nov 2019 08:19 pm
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