
रसधारा संस्था द्वारा रंगकर्मी मंजू जोशी की स्मृति में टॉउन हॉल में किए जा रहे तीन दिवसीय नाट्य समारोह के दूसरे दिन सोमवार को टॉउन हॉल में हास्य-व्यंग्य नाटक चार कोट का मंचन किया गया।

अनुराग कला केन्द्र, बीकानेर की इस प्रस्तुति में व्यवस्था के प्रति आम आदमी के छिपे दर्द को हास्य के माध्यम से दर्शकों तक पहुंचाने का सफल प्रयास किया गया।

नाटक के दौरान भीलवाड़ा के सुधि दर्शक अंत तक पात्रों के साथ जुड़े रहे। निर्देशक सुदेश व्यास ने बताया कि एवी कमल द्वारा लिखित इस नाटक की खासियत यह है कि इसमें कभी कभी दर्शक अपनी कहानी ढूंढते है।

जिस तरह एक मछली पूरे तालाब को गंदा कर देती है, ठीक वैसे ही चंद गलत आदमियों की वजह से किसी को बदनाम होना पड़ता है। नाटक का उद्धेश्य किसी की छवि खराब करना नहीं, बल्कि उन चंद भ्रष्ट लोगों की भ्रष्टता को उजागर करना है, जिसकी सजा पूरा समाज भुगत रहा है।

चार कोट जो जनता की सेवा अथवा सुरक्षा के प्रतीक है, लेकिन वास्तव में आम आदमी उनसे सहमा हुआ है या उनसे बचने का प्रयास करता है।

तंत्र की व्यवस्था में जकड़े हुए आदमी की भावनाओं को किस तरह यूज एंड थ्रो की भांति इस्तेमाल किया जाता है, यह बताने का नाटक में बहुत ही सार्थक प्रयास किया गया।