भीलवाड़ा. शहर के बीच से गुजर रही कोठारी नदी अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही है। माफिया नदी से अवैध रूप से पत्थर चुरा रहे हैं। वहीं लोगों ने इसे डंपिंग यार्ड बना रखा है। लोग कोठारी नदी में कचरा और मलबा डाल रहे हैं। राजस्थान पत्रिका की टीम ने रविवार को कोठारी नदी क्षेत्र का जायजा लिया तो हालात कुछ यों नजर आए।
पत्रिका टीम ने देखा कि कोठारी नदी के पेटे में बड़ी चट्टानों को ब्लास्टिंग के जरिए तोड़ा जा रहा था। इससे निकले पत्थर ट्रैक्टर ट्रॉलियों में भरे जा रहे थे। इस काम में जेसीबी मशीन लगी थी। चित्रकूट नगर के पास रहने वाले लोगों ने बताया कि रोड किनारे स्थित मंदिर के पीछे से रोजाना पत्थर काटकर ले जा रहे हैं जबकि कोठारी नदी में खनिज विभाग ने इसकी लीज नहीं दे रखी है। लोग कोठारी नदी से बजरी खनन का भी विरोध कर रहे हैं। जेसीबी के माध्यम से यहां से बजरी निकाल रहे है। इसके कारण नदी का स्वरूप बिगड़ रहा है।
नोटिस देकर पल्ला झाड़ा
राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने नदी में खनन व कचरा डालने पर नगर परिषद को नोटिस जारी कर पल्ला झाड़ रखा है। कहने को कोठारी नदी अधिक लम्बी नहीं है। यह आगे बनास में मिल रही है, लेकिन शहर एवं दर्जनों गांवों के लिए जीवनदायिनी है। जोधड़ास चौराहे से टंकी वाले हनुमान मंदिर, सांगानेर से आगे तक जहां जगह मिली, वहीं लोग इसे कचरे से पाट रहे हैं।
बरसात के पानी के साथ बहेगा कचरा
कोठारी नदी के पास रहने वाले लोगों का कहना है कि नदी में अब भी साफ पानी भरा है। इस पानी को कचरा डालकर दूषित किया जा रहा है। अभी सड़क किनारे या नदी के मुहाने पर कचरा पड़ा है। जब भी तेज बारिश होगी, यह कचरा बहकर नदी में जाएगा। यह कचरा आगे बहता हुआ बनास में मिलेगा। मकान तोड़ने या बेसमेन्ट खुदाई से निकला मलबा भी नदी में डाला जा रहा है। शहर से निकले कचरे के ढेर भी यहां लगाए जा रहे हैं। इससे नदी की चौड़ाई घट जा रही है। नदी के बहाव में भी बाधा आ रही है। एनजीटी में याचिकाकर्ता बाबूलाल जाजू ने जिला कलक्टर आशीष मोदी से नदी में खनन रुकवा कर न्यायालय के आदेशानुसार नदी का मूल स्वरूप लौटाने की मांग की।