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निगेटिव ग्रुप की कमी से जूझ रहा है एमजीएच का ब्लड बैंक

बैंक में बचा महज एक यूनिट एबी निगेटिव ब्लड    

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mgh reduction of blood in bhilwara

mgh reduction of blood in bhilwara

भीलवाड़ा।

राजकीय महात्मा गांधी चिकित्सालय का ब्लड बैंक नेगेटिव ब्लड की कमी से जूझ रहा है। एक हजार यूनिट संग्रहित करने की क्षमता वाले ब्लड बैंक में निगेटिव ब्लड की मात्रा केवल 23 यूनिट है। यह अपात स्थिति में नुकसान देह साबित हो सकती है।

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अस्पताल में सड़क दुर्घटनाओं, ऑपरेशन में खून की कमी वाले मरीजों को चढ़ाने के लिए निगेटिव रक्त की आपूर्ति इसी ब्लड बैंक से की जाती है। जनाना अस्पताल में जरूरत पडऩे पर भी यही से रक्त ले जाया जाता है। लेकिन निगेटिव रक्तदान करने वालों का आकड़ा बहुत कम है।

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क्षमता का आधा भी नहीं
ब्लड बैंक में वर्तमान में क्षमता का आधा ब्लड भी उपलब्ध नहीं है। इसकी स्टोरेज क्षमता 1000 यूनिट की है, लेकिन 448 यूनिट वर्तमान में उपलब्ध है। हालांकि यह इनके प्रतिमाह के टर्नओवर के हिसाब से सही है। पॉजिटिव ब्लड की टर्नओवर के अनुसार कोई कमी नहीं है, लेकिन निगेटिव ब्लड की कमी परेशानी का कारण बनी रही है।

रक्तदान से नहीं सेहत को नुकसान
विशेषज्ञों का कहना है कि रक्तदान के प्रति लोगों में भ्रांति है कि रक्तदान करने से कमजोरी बढ़ती है लेकिन एेसा नहीं है। एक स्वस्थ व्यक्ति को पीडि़त मानवता की सेवार्थ रक्तदान करना चाहिए। एक स्वस्थ व्यक्ति हर तीन माह में रक्तदान कर सकता है। रक्तदान करने के बाद शरीर में रक्त संचरण सुचारू रहता है। रक्तदान से ना तो कमजोरी आती है और ना ही रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। 18 से 50 की उम्र तक के व्यक्ति रक्तदान कर सकते है।

स्वैच्छिक दान में पीछे रहते हैं ऐसे लोग
&टर्न ओवर के हिसाब से पॉजिटिव गु्रपों के ब्लड की कमी नहीं है। हर माह करीब 600 यूनिट की खपत है। इतना शिविरों से आ जाता है। प्रयास रहता है कि शिविरों में ज्यादा रक्त संग्रहित किया जा सके। निगेटिव रक्त की कमी का कारण यह ग्रुप कम लोगों में होता है। उनमें भी अधिकांश स्वैच्छिक दान नहीं करते है।
डॉ. अनिल लढा, प्रभारी, ब्लड बैंक एमजीएच, भीलवाड़ा

यह है स्थिति (यूनिट में)
ए पॉजिटिव 91
ए निगेटिव 3
बी पॉजिटिव 98
बी निगेटिव 2
एबी पॉजिटिव 25
एबी निगेटिव 1
ओ पॉजिटिव 211
ओ निगेटिव 17
कुल 448