scriptएमजीएच के बिगडऩे लगे हालात | MGH's deteriorating situation in bhilwara | Patrika News

एमजीएच के बिगडऩे लगे हालात

locationभीलवाड़ाPublished: Sep 27, 2020 10:22:33 pm

Submitted by:

Suresh Jain

मरीजों को नहीं मिल रहा उपचार

MGH's deteriorating situation in bhilwara

MGH’s deteriorating situation in bhilwara

भीलवाड़ा .

कोरोना संक्रमित मरीजों के उपचार को लेकर जिला प्रशासन हर संभव प्रयास कर रहा है। लेकिन धरातल पर सरकारी अस्पताल में मरीजो को उपचार नहीं मिल रहा है। उनकी देखभाल के लिए स्टॉफ तक नहीं है। डाक्टरों की टीम थक चुकी है। वे अब अपनी बला को टालने में लगे है। इसके चलते अब उपचार के नाम पर मात्र खानापूर्ति की जा रही है। वीवीआईपी है तो उसके लिए डाक्टरों की टीम लग जाती है। मरीज की पहचान नहीं है तो उसे देखने के लिए स्टॉफ तक नहीं है।
आमजन की पहुंच से दूर निजी चिकित्सालय अब भले ही गाइड लाइन से कोरोना मरीजों का उपचार कर रहे है, लेकिन वही की फिस सुनकर मरीज सरकारी उपचार के भरोसे महात्मा गांधी अस्पताल में भर्ती हो रहे है, जो उनके लिए ही घातक हो रहा है। एमजीएच में ऐसे कई मामले सामने आए है जिनको उपचार तक नहीं मिला है। एमजीएच में भर्ती हुए मरीज के परिजन ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उनके भाई बीमार होने पर शुक्रवार शाम 7 बजे एमजीएच में ले गया। कमरा नम्बर 92 नम्बर में बैठे चिकित्सकों ने मरीज की बीमारी के बारे में बिना कुछ जाने फार्म भर कर वॉर्ड में भेज दिया। वॉर्ड में जाने के बाद वॉर्ड बॉय से बोला कि भैया इनसे पूछ तो लो कि क्या तकलीफ है तो वाड्र्र बॉय से जवाब मिला कि 92 नम्बर कमरे में बैठे चिकित्सक ने देख लिया ना। आप हमें अपना काम करने दें। वार्ड बॉय ने मेरे भैया के मुंह पर आक्सीजन लगाकर चला गया। मरीज के छोटे भाई ने सीएमएचओ डॉ. मुख्ताक खान से फोन पर बात की, मरीज का नाम और बीमारी बताई कि सांस में तकलीफ है। लेकिन कोई उपचार शुरू नहीं हुआ। डॉ. खान ने चिकित्सक भेजने को कहा तो वह संतुष्ट हो गया। करीब 2 घण्टे बाद वह वॉर्ड से कहा कि डाक्टर को बुलाकर दिखा तो लो। उसका जवाब था डाक्टर अन्य मरीजो को देख रहे है। रात्रि के 11 बजे वॉर्ड बॉय आया। ईसीजी करके चला गया। रात्रि 11.30 बजे इंचार्ज ने दवाईयों की पर्ची थमाते हुए कहा यह दवा लेकर आ जाओं। उसने अन्य मरीजो से पूछा कि डाक्टर आते है क्या तो जवाब मिला कि वॉर्ड बॉय आते है इंजेक्शन व दवा देकर चले जाते है जो ठीक हो गया वो घर गया और जो ठीक नहीं हो पाया वह…। अगले दिन शनिवार सुबह से चिकित्सक का इंतजार करने लगे। मरीज के साथ आए व्यक्ति ने पीएमओं अरुण गौड़ को फोन किया। वार्ड के हालात बताए कि १२ घंटे हो गए लेकिन अभी तक डाक्टर नहीं आए। गौड़ ने उससे मरीज का नाम लिखकर भेजने तथा डॉ मनीष सिंघल को भेजता हूं अभी वो वॉर्ड का निरीक्षण करने आ रहें है। आधे घंटे बाद एक बार फिर सीएमएचओ डॉ. खान को फोन किया और हालात बताए। उन्होने ने भी डॉ. सिंघल को भेजने की बात कहीं। सुबह 11.30 बजे तक किसी चिकित्सक के नहीं आने पर मरीज के साथ आए परिजन की धड़कने बढऩे लगी। उसने बताया कि अगर किसी की सिफारिश होती तो शायद मरीज को देखने के लिए डाक्टर आ जाते, लेकिन उसकी पहचान नहीं थी। लगभग 17 घंटे बाद चिकित्सक आए और जरूरी दवाईयां बता कर चले गए। मरीज व उसके परिजन ने परेशान होकर दोपहर डेढ़ बजे वार्ड बाय से डिस्चार्ज करने की बात कहीं तो उसने मात्र १५ मिनट में ही डिस्चार्ज टिकिट हाथों में थमा दिया। मरीज के घर जाने के बाद उसकी तबीयत और बिगड़ गई लेकिन मरता क्या करता वह फिर से एमजीएच में आकर भर्ती हो गया, लेकिन उपचार फिर भी शुरू नहीं हुआ। यह स्थिति कई मरीजों की है, जिन्हें देखने के लिए डाक्टर तक नहीं है।
मरीज अधिक डाक्टर कम
अस्पताल में कोरोना संक्रमित मरीजो की संख्या बढ़ रही है। गंभीर हालात में आ रहे है। उन्हें देखने में ही डाक्टरों का समय निकल रहा है। मरीजो को बचाने के लिए पूरी टीम लगी हुई है। फोन आने पर डाक्टर को भेज दिया था।
डॉ. अरुण गौड़, अधीक्षक एमजीएच
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