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माउंटेनियर व साइकिलिस्ट समीरा भीलवाड़ा पहुंची

साइकिल से 37 देशों की यात्रा की, अब एवरेस्ट फतह की तैयारी

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Mountaineer and cyclist Samira reached Bhilwara

Mountaineer and cyclist Samira reached Bhilwara

आंध्रप्रदेश के अनंतपुर में रहने वाली पर्वतारोही और साइकिलिस्ट समीरा खान ने ये साबित कर दिया कि परिवार के सहयोग के बिना भी लड़कियां आगे बढ़ सकती हैं। जब वह नौ साल की थी तब उनकी मां इस दुनिया में नहीं रही। 2015 में उनके पिता भी चल बसे। समीरा मुश्किल हालातों का सामना करते हुए भी माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने के अपने सपने को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है। वह अब तक साइकिल से 37 देशों की यात्रा कर चुकी हैं। वे सोलो ट्रेवलर हैं। समीरा नेपाल के 6,858 मीटर ऊंचाई वाले अमा डबलाम की चढ़ाई कर चुकी हैं। समीरा शुक्रवार को भीलवाड़ा पहुंची। वह स्कूलों में जाकर छात्राओं से मिल रही है। शनिवार को लेबर कॉलोनी स्थित विद्यालय में छात्राओं को प्रशिक्षण दिया।

11 पर्वतों पर चढ़ चुकी समीरा ने 7 पर फतह की

समीरा ने पत्रिका को बताया कि 2015 से अब तक वह 11 पर्वतों पर चढ़ चुकी हैं और उनमें से 7 पर फतह हासिल कर चुकी हैं। सबसे कठिन नेपाल की 6,859 मीटर ऊंची अमा डबलाम चोटी थी। अब माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने की तैयारी कर रही हैं। अपनी पहली साइकिल यात्रा महज 13 साल की उम्र में की थी। अनंतपुर से बेंगलूरु तक साइकिल चलाई। उसका मानना है कि महिलाओं को अपनी मर्ज़ी से काम लेना चाहिए और अपनी आदतों से मुक्त होना चाहिए। वह युवा लड़कियों से यही कहती है कि वे बड़े सपने देखें और नए रास्ते बनाएं। पर्वतारोहण में कोई पृष्ठभूमि न होने के बावजूद, अगर मैं इतना कुछ हासिल कर सकती हूं, तो कोई भी कर सकता है।

माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई की तैयारी

समीरा माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई नेपाल के बजाय तिब्बत की ओर से करना चाहती हैं। वे कुछ ऐसा करना चाहती हैं जिससे ये अहसास हो कि उन्होंने अपनी योग्यता से परे खुद को साबित किया है। दसवीं कक्षा तक पढ़ाई के बाद समीरा ने मेडिकल लैब टेक्नोलॉजी का कोर्स किया। बेंगलूरु के बीपीओ में जॉब किया। अब तक कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, नेपाल, भूटान, सिक्किम, अरूणाचल प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र का दौरा कर चुकी है। अब राजस्थान की स्कूलों का दौरा कर रही है।

अभियान का उद्देश्य

समीरा ग्रामीण सरकारी स्कूलों में जाकर प्रेरक सत्र आयोजित कर रही है। इसके माध्यम से लैंगिक भेदभाव, दहेज और उत्पीड़न जैसी सामाजिक बाधाओं के बारे में छात्राओं को जानकारी दे रही है। छात्राओं को आत्मनिर्भर, साहसी और अपनी स्वतंत्रता के बारे में मुखर होने के लिए प्रेरित कर रही है।