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क्वालिटी कंट्रोल नियम से एमएसएमई उद्योग बंद होने के कगार पर

लघु उद्योग भारती ने टेक्सटाइल मंत्रालय के सामने रखी उद्यमियों की पीड़ा

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MSME industry on the verge of closure due to quality control rules

MSME industry on the verge of closure due to quality control rules

क्वालिटी कंट्रोल नियम अब एमएसएमई उद्योग पर बुरा प्रभाव डालने लगा है। एमएसएमई मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव डॉ.रजनीश एवं मिनिस्ट्री ऑफ़ एमएसएमई के डवलपमेंट कमिश्नर आरके राय के सान्निध्य में दिल्ली में बैठक हुई। इसमें देश भर के विभिन्न उद्योगों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।

लघु उद्योग भारती चित्तौड़ प्रांत अध्यक्ष महेश हुरकट एवं शिवप्रकाश झंवर ने बताया कि क्वालिटी कंट्रोल ऑर्डर नियम से भीलवाड़ा व देश का टेक्सटाइल उद्योग में पीटीए, पीओवाइ, एफडीवाइ पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। क्वालिटी कंट्रोल ऑर्डर नियम पर केंद्र सरकार को पुन: विचार करना चाहिए। हुरकट ने बताया की धागे पर क्वालिटी कंट्रोल करने के लिए यह नियम लागू करने से देश में धागे का आयात कम हुआ है, लेकिन कपड़े का आयात तेजी से बढ़ गया है। इससे यह आदेश देश के मध्यम, लघु एवं सूक्ष्म उद्योगों के लिए परेशानी खड़ी हो गई है।

आंकड़ों के अनुसार धागों का आयात काफी कम हो गया है। लेकिन कपड़े का आयात वर्ष 2020-21 में 5. 77 लाख वर्ग मीटर था वो आज 63 लाख वर्ग मीटर तक पहुंच गया है। आगे भी कपड़े का आयात बढ़ने की संभावना है। क्वालिटी कंट्रोल ऑर्डर का यह आदेश देश के टेक्सटाइल उद्योग पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं।

उद्यमियों ने कहा कि क्वालिटी कंट्रोल का नियम कपड़े के आयात को कम करने के लिए लागू किया जाना चाहिए। ताकि चीन, बांग्लादेश समेत अन्य देशों से आ रहे सस्ते कपड़े पर रोक लग सके। साथ ही देश में कपड़े का उत्पादन अपनी गति पकड़ सके।

हुरकुट ने कहा कि क्वालिटी कंट्रोल आदेश जारी रहता है तो भारत के डाउनस्ट्रीम एमएमएफ वस्त्र उद्योग को खत्म कर देगी। आधुनिकीकरण प्रक्रिया भी प्रभावित होगी। नीति आयोग के अनुसार तकनीकी मापदंडों पर भारतीय एमएमएफ यार्न उद्योग अपने वैश्विक समकक्षों के बराबर है लेकिन भारतीय कपड़ा उद्योग के आकार को बढ़ाने के लिए डाउनस्ट्रीम उद्योग को आधुनिक बनाने की आवश्यकता है। कुछ सालों में बुनाई उद्योग में भारी निवेश हुआ है। लेकिन एमएमएफ यार्न पर क्वालिटी कंट्रोल के चलते कपड़ों का आयात बढ़ने से मेक इन इंडिया का सपना भी साकार नहीं हो पा रहा है।

अन्य राज्यों से आए उद्यमियों का कहना है कि पॉलिएस्टर, पीओवाई, एफडीवाई जैसे एमएमएफ यार्न पर क्वालिटी कंट्रोल की समीक्षा करनी चाहिए। ताकि देश के टेक्सटाउल उद्योग को बचाया जा सके

कई तरह के बनते हैं यार्न

देश में कई तरह के यार्न का उत्पादन होता है। लेकिन कुछ किस्म के यार्न का उत्पादन देश में नहीं होता है। इसमें मैकेनिकल स्ट्रेच यार्न, मदर यार्न, मोनो फिलामेंट यार्न, लो मेल्ट यार्न, डीबीटी स्ट्रेट यार्न आदि शामिल हैं। इन धागो से क्वालिटी कंट्रोल नियम को हटाया जाकर आमात को सुविधाजनक बनाया जा सकता है। जो धागा भारत में नहीं बन रहा है उस पर क्यूसीओ नहीं होगा तो कपड़ा उद्योग को यह धागा आसानी से मिल सकेगा। इससे उच्च क्वालिटी का वैल्यू एडेड फैब्रिक बनाया जा सकेगा। क्यूसीओ को लेकर फिर से टेक्सटाइल मंत्री के साथ बैठक होगी।