1957 में बना बांध
बांध का निर्माण 1957 में हुआ था। 27 माह में तैयार हुए बांध पर 35 लाख रूपए का खर्चा आया था। 1965 में लगभग 68 किलोमीटर तक की नहरों का निर्माण कराया गया। 103 किलोमीटर के दायरे में अरवड़ बांध की नहर फैली है। 24 फीट क्षमता के बांध का पानी अधिकतर सिंचाई के काम में आता है। राज्यास, ईटडिया, पनोतिया, व कनेछनकलां, उम्मेदपुरा, फुलिया तहसील के कुछ गांव सहित कुल 27 गांवों में सिंचाई की जाती है।
बांध के भराव क्षेत्र में एनीकटों की भरमार है। वहीं नालों में खुदे अवैध कुएं परेशानी का सबब बने हुए है। एनीकटों से किसानों को राहत मिली है। वही लोगों ने नालों में अवैध रूप कई कुएं खोद डाले। एनीकटों से जिन स्थानों पर नहर का पानी नहीं पहुंच पाता वहां किसानों ने इंजनों व पाईपों के जरिए पानी खेतों तक ले जा रहे है।
वर्ष-2007 में बनी जल उपयोगिता संगम समिति कार्य कर रही है। समिति सदस्या नहरों व बांधों की समय-समय पर निरीक्षण करने और जल प्रबंधन में अपनी भूमिका निभा रहे है। नहरों में पानी छोडते समय पानी के दुरपयोग को भी समिति रोकती है।
जल संसाधन विभाग के अधीन यह बांध को लेकर अधिकारी सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम का दावा करते है। बांध पर चौकीदार नियुक्त कर रखा है। बरसात से पूर्व बाधों पर रेत के कट्टे भरा कर रखे जाते है। चौकीदार के पारिश्रमिक के अलावा बांध की देखरेख में ज्यादा खर्चा नहीं किया जा रहा है।
1957 बांध का निर्माण
35 लाख रुपए खर्च
16 हजार एकड़ में होती सिंचाई
27 फीट की क्षमता