
Negligence: Principal post vacant, promoted officer yearns for posting
राजस्थान में शिक्षा विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आ रही है। प्रदेशभर में करीब साढ़े नौ हजार से अधिक विद्यालयों में प्राचार्य के पद रिक्त हैं। दूसरी ओर, उप प्राचार्य से प्राचार्य पद पर पदोन्नत हुए लगभग 2,800 शिक्षा अधिकारी तीन माह से पदस्थापन की प्रतीक्षा कर रहे हैं। सरकार की ओर से अब तक दो बार काउंसलिंग कार्यक्रम घोषित कर टाल दिए गए। इससे अधिकारी भी निराश हैं और विद्यालयों की शैक्षणिक गतिविधियां भी प्रभावित हो रही हैं।
एक पद पर दो-दो प्राचार्य
शिक्षा विभाग ने पदोन्नत अधिकारियों को उन्हीं विद्यालयों में कार्यरत रखा है, जहां वे पहले से ही सेवाएं दे रहे। नतीजतन कई विद्यालयों में एक ही पद पर दो-दो प्रधानाचार्य हैं जबकि हजारों विद्यालय अब भी मुखिया विहीन हैं। राजस्थान शिक्षक संघ (प्रगतिशील) ने राज्य सरकार से मांग की है कि जल्द से जल्द काउंसलिंग करवा कर रिक्त विद्यालयों में प्रधानाचार्य नियुक्त किए जाएं। उन्होंने कहा कि सरकार को शायद “शुभ मुहूर्त” नहीं मिल रहा है, इसलिए बार-बार कार्यक्रम स्थगित हो रहे हैं।
आंकड़ों में प्राचार्य संकट
- प्रदेशभर में प्राचार्य के 9,500 रिक्त पद
- पदोन्नत होकर पदस्थापन का इंतजार कर रहे 2,800 अधिकारी
- अब तक घोषित काउंसलिंग कार्यक्रम 2 बार टला
- बार-बार स्थगित कार्यक्रमों से अटकी पदस्थापन प्रक्रिया
शिक्षा व्यवस्थाओं पर असर
शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि प्रधानाचार्य स्कूल की रीढ़ होता है। उसके अभाव में प्रवेश व नामांकन अभियान प्रभावित होता है। शैक्षिक गुणवत्ता पर असर पड़ता है। प्रशासनिक कार्यों में शिथिलता तथा शिक्षकों और विद्यार्थियों में असंतोष है।
शिक्षा व्यवस्था पटरी पर आएगी
सरकार को चाहिए कि पदोन्नत अधिकारियों की तुरंत काउंसलिंग कर पदस्थापन किया जाए। रिक्त विद्यालयों को मुखिया मिलने से ही शिक्षा व्यवस्था पटरी पर आएगी।
- नीरज शर्मा, प्रदेशाध्यक्ष, राजस्थान शिक्षक संघ (प्रगतिशील)
Published on:
31 Aug 2025 11:18 am
बड़ी खबरें
View Allभीलवाड़ा
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
