कोरोना महामारी के प्रभाव से शादी समारोह की रौनक एवं आयोजनकर्ताओं में जोश फीका पड़ गया है, बेटे-बेटियों की धूमधाम से शादी करने एवं गांव को जीमाणे का सपना कोरोना ने धो दिया है। शादियां हो रही है, लेकिन अब कड़े कायदे कानून की पालना के बीच। विवाह पूर्व होने वाले भात, चाक समेत नाच गाने के कार्यक्रम भी अब बंद वाटिका या कमरों में हो रहे है।
जिला प्रशासन ने विवाह समारोह में शामिल होने की संख्या अधिकतम ५० तय कर रखी है। डीजे एवं बैंड के उपयोग पर रोक है, घोडी व आतिशबाजी को लेकर कड़ी शर्ते है, शादी समारोह का रिस्पेशन खुले सड़क में करने पर जुर्माना हो सकता है।
शादी समारोह पर नजर रखने व कोविड की पालना के लिए संबधिक थाना पुलिस ने कोरोना फाइटर्स की नियुक्ति कर रखी है। आयोजन स्थल संचालक, फोटोग्राफ्र्स, हलवाई, पंडितों को पाबंद कर रखा है। भदादा मोहल्ला के राठी परिवार में १३ जून को हुई शादी में प्रशासन की मनाही के बावजूद ३०० से अधिक लोग शामिल हुए। एेसे में समारोह में शामिल दूल्हे समेत १६ लोग कोरोना संक्रमित हो गए। इनमें दूल्हे के दादा मनोहर लाल राठी (७५ ) की शुक्रवार रात को मौत हो गई। इस घटना के बाद जिला प्रशासन ने शादी समारोह में और अधिक सख्ती कर दी। जिले में कोविड १९ की कड़ाई से पालना हो, इसके लिए दूल्हे के पिता घीसू लाल राठी पर जिला प्रशासन ने छह लाख २६ हजार रुपए का जुर्माना तक लगाया, वही भीमगंज पुलिस ने दूल्हे के पिता के खिलाफ कोविड एक्ट के तहत मुकदमा भी दर्ज किया।
पंडित अशोक व्यास ने बताया कि सोमवार व मंगलवार को भाडल्या नवमी-दशमी पर अबूझ सावे है, सिर्फ चौकडिया देख कर ही सावे में विवाह का मुर्हत कई परिवारों ने निकलवाया है। सुबह छह बजे सेश्रेष्ठ मुर्हत है जो कि रात को १०.३० बजे तक है, जिले में रात नौ बजे से सुबह पांच बजे तक कफ्र्यू होने से अधिकांश विवाह दिन में ही होंगे। गोधूलि यानि सूर्यास्त से आधा घंटे पहले और आधा घंटे बाद भी श्रेष्ठ मुर्हत है।