20 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

कोरोना संक्रमित हर मरीज को वेंटिलेटर की जरुरत नहीं

अति गंभीर होने पर ही मरीज को लेते है वेंटिलेटर पर

2 min read
Google source verification
कोरोना संक्रमित हर मरीज को वेंटिलेटर की जरुरत नहीं

कोरोना संक्रमित हर मरीज को वेंटिलेटर की जरुरत नहीं

भीलवाड़ा।
कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में कई संक्रमित मरीजों को बचा पाना मुश्किल हो रहा है। कई गंभीर मरीजों को तो सीधे वेंटिलेटर पर लेना पड़ रहा है। वेंटिलेटर नहीं मिलने पर कई गंभीर मरीजों की मौत हो रही है। हालांकि सभी भर्ती मरीज को वेंटिलेटर की आवश्यकता नहीं है, लेकिन कोरोना संक्रमित मरीज व उनके परिजनों का दबाव बना रहता है कि मरीज को वेंटिलेटर पर ले लें तो उसकी जान बच जाए।
कब पड़ती है जरूरत
एमजीएच के अधीक्षक डॉ. अरुण गौड़ ने बताया कि कोरोना मनुष्य के श्वंसन तंत्र पर हमला करता है। वायरस फेफड़ों को इतना संक्रमित कर देता है कि मरीज के लिए सांस लेना मुश्किल हो जाता है। फेफड़े जब काम करना बंद कर देते हैं तब शरीर को ऑक्सीजन नहीं मिल पाती और ना शरीर के अंदर मौजूद कार्बन डाईऑक्साइड बाहर निकल पाती है। ऐसे में दिल भी काम करना बंद कर देता है और मरीज की मौत हो जाती है। ऐसे में गंभीर मरीज को वेंटिलेटर की जरूरत पड़ती है। इसके माध्यम से शरीर में ऑक्सीजन पहुंचाई जाती है। ऑक्सीजन फेफड़ों में वहां पहुंचती है जहां सूजन आ जााती है। वेंटिलेटर कई तरह के होते हैं। जिस मरीज को वेंटिलेटर लगा हो वह ना बोल सकता है, ना कुछ खा सकता है।
सही समय पर मिले उपचार तो नहीं जरूरत
एमजीएच के एनीस्थिसिया विभाग के सह प्राचार्य डॉ. वीरेन्द्र शर्मा का कहना है कि कोरोना संक्रमित मरीजों को सही समय पर आईसीयू और उपचार की सुविधा मिल जाए तो उन्हें वेंटिलेटर की जरूरत नहीं पड़ती है। कई मरीज गंभीर अवस्था में अस्पतालों में पहुंच रहे हैं। उन्हें ऑक्सीजन व आईसीयू उपलब्ध हो रहा है। मरीज को पहले सामान्य ऑक्सीजन, लो ऑक्सीजन, हाइ फ्लो ऑक्सीजन फिर बाईपैप यानि छोटी वेंटिलेटर मशीन से मरीज को ऑक्सीजन दी जाती है। स्थिति गंभीर होने पर उन्हें वेंटिलेटर का सपोर्ट देना पड़ता है। बाईपैप एवं प्रोनिंग से ही 70 से 80 फीसदी मरीज ठीक हो जाते है। वेंटिलेटर पर जाने के बाद स्वस्थ होने की संभावना कम रहती है।