
not get transport and escort allowances Divyang in bhilwara
भीलवाड़ा।
घर से स्कूल तक आने जाने के लिए परिवहन भत्ते व एस्कॉर्ट भत्ते के पात्र जिले के सरकारी स्कूलों में अध्ययनरत 74 फीसदी दिव्यांग बच्चों को योजना से वंचित होना पड़ रहा है। भत्ता प्राप्त करने के लिए राजकीय चिकित्सालय का प्रमाण पत्र होना जरूरी है। इसके अभाव में पीईईओ ने इनका नाम शाला दर्पण पोर्टल पर नहीं चढ़ाया।
प्रमाण पत्र के लिए अस्पतालों में भी बार-बार चक्कर काटे, बावजूद इनके विकलांगता प्रमाण-पत्र नहीं बने।
कई बार दिव्यांगों के लिए शिविर तो आयोजित किए जाते है, लेकिन पीईईओ व संस्था प्रधानों के रूचि नहीं लेने से प्रमाण-पत्र नहीं बन पाए। इसका खमियाजा इन्हें भुगतना पड़ता है। विभागीय अधिकारी-कर्मचारी भी इस बात से भली-भांति परिचित है, लेकिन किसी ने परवाह तक नहीं की।
सत्र 2017-18 में जिले के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों में कुल 3,856 दिव्यांग बच्चे अध्ययनरत थे, लेकिन इनमें से मात्र 1018 बच्चों को ही परिवहन भत्ता दिया गया। शेष 2838 दिव्यांग बच्चे चिकित्सा प्रमाण पत्र के अभाव में योजना से वंचित रह गए। जिला शिक्षा अधिकारी की अध्यक्षता में गठित कमेटी द्वारा भी अधिक विकलांगता वाले बच्चों का ही चयन कर भत्ता वितरण किया जा रहा है। इससे पात्रता रखने वाले सैकड़ों बच्चे प्रतिवर्ष योजना का लाभ नहीं ले पा रहे हैं।
250 रुपए प्रतिमाह मिलता है भत्ता
सरकार की इस योजना के तहत अस्थि दोष, दृष्टि दोष, मानसिक विमंदता, बहु विकलांगता, सेरेबल पाल्सी, आटिज्म श्रेणी व श्रवण बाधित 40 फीसदी या इससे अधिक होने पर 250 रुपए प्रतिमाह परिवहन भत्ता के पात्र है। इसी तरह जिन बच्चों में उक्त दोष तो है, लेकिन वे बच्चे किसी के सहारे बिना चल नहीं पाने की स्थिति में उन्हें एस्कॉर्ट भत्ता 250 प्रतिमाह दिया जाता है।
पहले मांगी थी सात कमियां, जो अब 21 हुई
वर्ष 2016-17 में डाइस डाटा के आधार पर ही 2017-18 में भत्ता वितरित किया गया। शाला दर्पण पोर्टल पर नाम अपलोड करने के लिए पहले 7 तरह की कमियां मांगी जाती थी, अब 21 प्रकार की कर दी गई है। इस वर्ष सभी बच्चों के नाम पोर्टल पर अपलोड करने की कोशिश रहेगी, ताकि सभी को योजना का लाभ मिले।
योगेश पारीक, एडीपीसी, रमसा-एसएसए, भीलवाड़ा
Published on:
10 Jun 2018 03:08 pm
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