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पुराने सीईओ ने इस्तीफा दिया, आदेश के बावजूद नए पदभार नहीं संभाल रहे

ऋण घोटाले से बाद से विवादों में आए भीलवाड़ा महिला अरबन को-आपरेटिव बैंक के संचालन में रोजाना नई समस्याएं आ रही है

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Old CEO resigns in bhilwara

Old CEO resigns in bhilwara

भीलवाड़ा।

ऋण घोटाले से बाद से विवादों में आए भीलवाड़ा महिला अरबन को-आपरेटिव बैंक के संचालन में रोजाना नई समस्याएं आ रही है। पिछले डेढ़ माह में बैंक कुर्क की गई एक भी सम्पति नीलाम नहीं कर पाया, जबकि भारी आर्थिक संकट से जूझ रहे बैंक के लिए सम्पत्तियों की नीलामी बहुत जरूरी है। बैंक की स्थिति को देखते हुए संचालक मंडल की ओर से नियुक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी मदनलाल नागौरी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।

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उनकी जगह मुख्य कार्यकारी अधिकारी [सीईओ] लगाए गए स्पेशल ऑडिटर अरविन्द ओझा के कार्यभार नहीं संभालने पर बैंक के संचालक शहर विधायक वि_लशंकर अवस्थी से मिले। सदस्यों ने विधायक से कहा कि बैंक को बचाने के लिए पूर्ण कालिक सीईओ बहुत जरूरी है। अवस्थी ने इस मामले में सहकारिता मंत्री अजय क्लिक से भी बात की है।

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डेढ़ माह में दे दिया इस्तीफा

बैंक के संचालक मंडल ने गत 2 अप्रेल को मदनलाल नागौरी को सीईओ नियुक्त किया था। उन्हें बैंक को पुन: स्थापित करने, एनपीए खाते से ऋण की वसूली, बकाया ऋणियों की सम्पत्तियों की नीलामी कर बैंक की आर्थिक स्थिति मजबूत करने की जिम्मेदारी दी गई थी, लेकिन वे इस काम में सफल नहीं पाए।

सहकारिता विभाग की रजिस्ट्रार ने पिछले दिनों स्पेशल ऑडिटर अरविन्द ओझा को बैंक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी का अतिरिक्त पदभार संभालने के आदेश जारी किए तो नागौरी ने यह कहते हुए इस्तीफा दे दिया कि जब सरकार ने उनके स्थान पर अपना प्रतिनिधि लगा दिया है तो फिर उनकी बैंक में कोई जरूरत नहीं है। नागौरी ने बताया कि वे बैंक हित में काम करना चाहते थे। लेकिन वे इसमें सफल नहीं हो सके।


दो बार लिखा पत्र

बैंक अध्यक्ष पायल अग्रवाल ने बताया कि राज्य सरकार की ओर से सीईओ नियुक्त किए गए अरविन्द ओझा को कार्यभार संभाले के लिए दो बार पत्र लिख चुके है, लेकिन वे कार्यभार नहीं संभाल रहे।


कर्मचारियों और खातेदारों में मची खलबली
सहकारिता विभाग के अतिरिक्त रजिस्ट्रार की ओर से बैंक के संचालक मंडल को भंग करने के नोटिस मिलने बाद बैंक कर्मचारियों और खातेदारों में शनिवार को दिनभर खलबली मची रही कि अब बैंक का क्या होगा। संचालक मण्डल के सदस्यों का भी मानना है कि दो अप्रेल को आयोजित बोर्ड बैठक में पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी खंगारोत को हटाने का निर्णय गलत था।