
Panchayati Raj employees annoyed by repeated document checking
पंचायती राज विभाग में वर्ष-2013 में हुई कनिष्ठ लिपिक भर्ती को लेकर एक बार फिर बवाल खड़ा हो गया है। बार-बार हो रही दस्तावेज़ जांच की प्रक्रिया से नाराज़ मंत्रालयिक कर्मचारी अब आंदोलन की राह पर हैं।
राज्य भर के कर्मचारियों में इसको लेकर जबरदस्त आक्रोश है। कर्मचारियों का कहना है कि शासन के उच्च स्तर से पूर्व में कई बार शिकायतों की जांच हो चुकी है और विषय निस्तारित भी किया जा चुका है, लेकिन अब पुनः वही मामला उठाकर विभाग की ओर से दस्तावेजों की सत्यापन कार्यवाही करवाई जा रही है, जो दमनात्मक और दुर्भावनापूर्ण है।
मांगों से ध्यान भटकाने की साजिश
मंत्रालयिक कर्मचारी संगठन के जिलाध्यक्ष शोभा लाल तेली ने बताया कि विभाग जानबूझकर संगठन की "केडर रिव्यू", "कार्य विभाजन" जैसी मुख्य मांगों से ध्यान भटकाने के लिए पुरानी और निस्तारित शिकायतों को फिर से उठाकर दस्तावेज सत्यापन की कार्यवाही शुरू कर रहे है। इस कार्यवाही के बहाने प्रदेश कार्यकारिणी के कुछ सदस्यों को भी निशाना बनाया जा रहा है।
ज्ञापन सौंपकर दी चेतावनी, सरकार को किया आगाह
इस कार्यवाही के विरोध में प्रथम चरण में जिला कलक्टर, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, जनप्रतिनिधियों और भाजपा पदाधिकारियों के माध्यम से ज्ञापन सौंपकर सरकार को अवगत करवाया है। संगठन ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि विभाग की ओर से बार-बार दस्तावेजों के सत्यापन की कार्यवाही को तत्काल नहीं रोका गया तो प्रदेशभर में बड़ा आंदोलन खड़ा किया जाएगा।
कार्य विभाजन को लेकर भी उठी मांग
वर्तमान में ग्राम पंचायत स्तर पर ग्राम सेवक एवं कनिष्ठ लिपिक दोनों कार्यरत हैं। लेकिन विभाग ने ग्राम सेवकों को संपूर्ण प्रशासनिक कार्यों की जिम्मेदारी सौंप रखी है जबकि कनिष्ठ लिपिक को केवल मनरेगा में श्रमिक नियोजन तक सीमित कर दिया है। तेली ने बताया कि ग्राम सेवकों पर कार्यभार अधिक होने के कारण कार्यों का समय पर निस्तारण नहीं हो पाता। ऐसे में कनिष्ठ लिपिक का सहयोग आवश्यक है। संगठन ने मांग की है कि दोनों समान स्तर के कार्मिकों में कार्यों का स्पष्ट वर्गीकरण किया जाए, ताकि पंचायत स्तर पर कार्य समय पर पूर्ण हों और आमजन को त्वरित सेवाएं मिल सकें।
आंदोलन की चेतावनी से विभाग में हड़कम्प
प्रदेशभर में उठे इस विरोध के स्वर के बाद पंचायती राज विभाग में भी हलचल तेज हो गई है। अब विभाग बार-बार की जा रही सत्यापन प्रक्रिया पर पुनर्विचार करता है या कर्मचारी संगठन अपने आंदोलन को आगे बढ़ाता है।
Updated on:
28 Jul 2025 08:57 am
Published on:
28 Jul 2025 08:56 am
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