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स्कूलों का हो रहा भौतिक सत्यापन, लेकिन खुद जिला शिक्षा अधिकारी का दफ्तर जर्जर

- टपकती छतों से गीले हो रहे दस्तावेज, कोई देखने वाला नहीं - बरसात में दफ्तर में काम करना मुश्किल, कर्मचारी परेशान

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Physical verification of schools is being done, but the office of the District Education Officer itself is dilapidated

Physical verification of schools is being done, but the office of the District Education Officer itself is dilapidated

झालावाड़ जिले में हाल ही हुए स्कूल भवन हादसे के बाद राज्य सरकार ने सरकारी स्कूल भवनों का भौतिक सत्यापन तो करवा रही है। लेकिन विडंबना यह है कि खुद जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) मुख्यालय का कार्यालय ही जर्जर हो चुका है। मुख्यालय के कई कमरों की छतें बरसात के मौसम में टपक रही हैं। इससे दफ्तर में रखे कई दस्तावेज भीग कर खराब हो रहे हैं। पानी से बचाने के लिए कर्मचारियों को मेजों के ऊपर प्लास्टिक चढ़ानी पड़ रही है, और कई जगह पानी इकट्ठा हो रहा है। इनकी मरम्मत के लिए न तो सरकार समय पर बजट देती और ना ही जनप्रतिनिधि इस और ध्यान देते हैं। शहर विधायक ने भी इसमें बजट नहीं दिया है। हालांकि स्कूलों के रख-रखाव के लिए डीएमएफटी के माध्यम से 11 करोड़ का फंड स्वीकृत करवाया है।

प्रतापनगर स्कूल के पास स्थित माध्यमिक मुख्यालय के कर्मचारियों के अनुसार, विभागीय अधिकारी खुद ही जर्जर भवन में बैठकर स्कूलों की इमारतों की जांच की रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं, लेकिन अपने ही कार्यालय की स्थिति को लेकर प्रशासनिक लापरवाही स्पष्ट नजर आ रही है।

पीले बस्ते में बंधी फाइलों पर गिर रहा पानी

एक कर्मचारी ने बताया कि हमने कई बार भवन की मरम्मत की मांग की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। अब बरसात में काम करना बहुत मुश्किल हो गया है। फाइलें गीली हो रही हैं, और कंप्यूटर उपकरण भी खतरे में हैं। कमरे के अंदर पीले बस्ते में बंधी फाइलों पर पानी गिर रहा है। कर्मचारी इन फाइलों को पानी से बचाने के लिए उन्हें इधर से उधर करते रहते हैं, लेकिन बरसात का पानी उन्हें छोड़ नहीं रहा है। पूरे भवन में सीलन आ रही है। दीवारें गीली होने से स्विच बोर्ड में करंट आने का खतरा रहता है। कपड़े में बंधी फाइलों से अब तो दुर्गध तक आने लगी है।

प्रशासन की अनदेखी

यह हाल तब है जब शिक्षा विभाग खुद स्कूलों की इमारतों को लेकर संवेदनशील बना हुआ है। झालावाड़ जैसी घटना के दोहराव से बचने के लिए गांव-गांव जाकर भवन सत्यापन किया जा रहा है, लेकिन जिला शिक्षा कार्यालय की हालत खुद एक चेतावनी की तरह खड़ी है।

कार्यालय के एक हिस्सा खाली करने को बोला

कार्यालय के पिछले हिस्से के दो कमरे जर्जर हैं। इसके लिए समसा की टीम ने सर्वे किया है। दो कमरे खाली करने के लिए कहा है। कर्मचारियों को अन्य कक्ष में शिफ्ट किया जाएगा। वहीं मरम्मत के लिए प्रस्ताव बनाकर भेजा जाएगा।

राजेंद्र कुमार गग्गड़, जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक भीलवाड़ा

कई बार कर चुकी है शिकायत

कार्यालय में बरसात के समय छतों से पानी टपकता है। इसके लिए कई बार अधिकारियों को शिकायत कर चुके हैं। पहले प्रस्ताव भी बनाकर भेजे गए थे, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।

आशुतोष आचार्य, प्रशासनिक अधिकारी माध्यमिक कार्यालय भीलवाड़ा

स्कूलों के लिए 11 करोड़ का दिया बजट

स्कूलों के रख-रखाव व शौचालय के लिए डीएमएफटी के माध्यम से 11 करोड़ का बजट स्वीकृत करवाया है। शहर की स्कूलों में आवश्यक मरम्मत के कार्य होंगे। डीईओ कार्यालय के लिए किसी ने बजट नहीं मांगा और ना ही कोई प्रस्ताव दिया है। डीईओ प्रस्ताव देंगे तो विधायक मद से अथवा अन्य योजना से बजट उपलब्ध कराया जाएगा।

अशोक कोठारी, विधायक भीलवाड़ा