
Picture is an example: Sankalp beautified the school....greenery, education and history became the identity
सुरेश जैन
एक ओर झालावाड़ हादसे के बाद जिले में 76 से अधिक स्कूलों को सील कर दिया, वहीं शहर के निकट सांगानेर क्षेत्र का एक 110 साल पुराना स्कूल आज भी पूरी तरह सुरक्षित, हरा-भरा और प्रेरणास्पद बना हुआ है। यह विद्यालय है सेठ मनोहर सिंह महता राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, सांगानेर का। यह भीलवाड़ा का ऐतिहासिक विद्यालय उदाहरण बनकर उभर रहा है। जब संकल्प और सहयोग साथ हों तो सरकारी विद्यालय भी किसी निजी संस्थान से कम नहीं होते।
1915 में मेहता ने दी थी 10 बीघा जमीन
यह स्कूल वर्ष-1915 में गांधीवादी नेता सेठ मनोहर सिंह महता ने 10 बीघा भूमि दान कर स्थापित की थी। स्वतंत्रता संग्राम से लेकर वर्तमान तक यह विद्यालय क्षेत्र की शैक्षणिक और सांस्कृतिक पहचान रहा। यहां पढ़कर कई बड़े पद पर पहुंचे तो कोई उद्योगपति बना। भूदान आंदोलन के प्रणेता आचार्य विनोबा भावे फरवरी-1959 में मनोहर सिंह महता के आग्रह पर स्कूल आए थे। इसका उल्लेख 'समर्पित लोक सेवक ' नामक पुस्तक में हैं। विद्यालय के विकास में महता की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। उनकी सेवा को देखते हुए 22 अक्टूबर 1992 को तत्कालीन मुख्यमंत्री भैरोसिंह शेखावत ने विद्यालय का सेठ मनोहर सिंह महता राउमावि सांगानेर किया।
चारों ओर हरियाली
स्कूल कावन न केवल सुरक्षित है, बल्कि यहां तीन खेल मैदान, चारों ओर हरियाली, और सुव्यवस्थित कक्षाएं हैं। यह सब संभव हो सका स्टाफ और स्थानीय भामाशाहों के समर्पण से। कोरोना काल में जब स्कूल बंद था तब विद्यालय शिक्षक राजेश चौधरी और अमित टेलर ने उपेक्षित भूमि पर स्टाफ के सहयोग से सुंदर वाटिका विकसित की। अब यहां छायादार, फलदार व औषधीय पौधों से घिरा शांत वातावरण है। प्रधानाचार्य रमाकांत तिवारी ने बताया कि स्टाफ ने भी स्वयं 31 हजार का योगदान दिया है।
शत प्रतिशत परिणाम
पर्यावरण संरक्षण के साथ विद्यालय ने शैक्षणिक गुणवत्ता पर भी ध्यान केंद्रित किया है। पिछले पांच वर्षों का परीक्षा परिणाम शत-प्रतिशत रहा। गणित जैसे विषयों में छात्रों ने 100 में 100 अंक हासिल किए। वाणिज्य संकाय ने जिला स्तर पर मेरिट में स्थान पाया। विद्यालय में फ्लड लाइट्स वाला वॉलीबॉल मैदान, क्रिकेट और फुटबॉल मैदान है।
स्कूल ने दिए आईआरएस अधिकारी
यह विद्यालय क्षेत्र की शैक्षणिक और सांस्कृतिक पहचान रहा है। अनिरुद्ध वैष्णव (आईआरएस), सूर्यप्रकाश पारीक, दीनदयाल जोशी, आदित्य देव वैष्णव सहायक आचार्य, दीनदयाल जोशी एवं सत्यनारायण भट्ट प्रधानाचार्य जैसे कई नामी अधिकारी और शांतिलाल पानगड़िया एवं कैलाश कोठारी जैसे उद्योगपति यहां से शिक्षा प्राप्त कर चुके हैं।
Published on:
04 Aug 2025 08:53 am
बड़ी खबरें
View Allभीलवाड़ा
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
