15 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

चीन की तर्ज पर भीलवाड़ा में तैयार किए जा रहे खिलाड़ी

खेलों की नर्सरी बनने की तैयारी में भीलवाड़ा, फुटबॉल, हॉकी, खो-खो, वॉलीबॉल, बैडमिंटन के विशेषज्ञ दे रहे प्रशिक्षण

2 min read
Google source verification
चीन की तर्ज पर भीलवाड़ा में तैयार किए जा रहे खिलाड़ी

चीन की तर्ज पर भीलवाड़ा में तैयार किए जा रहे खिलाड़ी

भीलवाड़ा. टैक्सटाइल सिटी भीलवाड़ा खेलों की नर्सरी बनने की दिशा में बढ़ रहा है। यहां चीन की तर्ज पर कड़े अनुशासन में खिलाड़ी तैयार करने की पहल हो चुकी है। शास्त्रीनगर में अग्रवाल भवन के पास महावीर स्कूल ग्राउंड पर स्पोर्ट्स नर्सरी शुरू की गई है, जहां फुटबॉल, हॉकी, खो-खो, वॉलीबॉल, बैडमिंटन जैसे खेलों में पौध तैयार हो रही है। विशेषज्ञ कोच इन पौध में अभ्यास रूपी खाद-पानी दे रहे हैं। अभी यहां करीब 300 बच्चे नियमित रूप से विभिन्न खेलों का प्रशिक्षण लेने आते हैं। ज्ञात है कि भीलवाड़ा से कुश्ती एवं हॉकी में कई प्रतिभाएं विश्व पटल पर प्रतिभा का लोहा मनवा चुकी हैं।
विशेषज्ञों का तर्क है कि खेलों की दुनिया में चीन का दबदबा इसलिए बढ़ रहा है, क्योंकि वहां छोटी उम्र में ही प्रशिक्षण शुरू कर दिया जाता है। पहले पता लगाया जाता है कि बच्चे की रूचि किस खेल में है। फिर कड़े अनुशासन में कठोर प्रशिक्षण दिया जाता है। भीलवाड़ा की स्पोर्ट्स नर्सरी भी इसी तर्ज पर खिलाड़ी तैयार करने में जुटी है।

जरूरी है मोबाइल-गजेट्स से दूरी-
विशेषज्ञों की मानें तो बच्चों में 3 से 13 साल की उम्र शारीरिक विकास के लिहाज से अहम होती है। स्पोर्ट्स एकेडमी की डायरेक्टर अवनि अजमेरा का कहना था, बीते कुछ साल में देखने में आ रहा है कि अभिभावक छोटी उम्र में बच्चों को गजेट्स व मोबाइल फोन दिला देते हैं। इसका नुकसान यह है कि बच्चे खेल मैदानों से दूर हो रहे हैं। छोटे बच्चे घंटों मोबाइल पर गेम खेलते मिल जाएंगे। यह उनके शारीरिक और मानसिक विकास के लिए कतई ठीक नहीं है। हमारा प्रयास है कि बच्चे खेल मैदानों का रुख करें ताकि भीलवाड़ा से आने वाले वर्षों में बेहतर खिलाड़ी मिले सके।

3 से 13 की उम्र पर जोर-

स्पोर्ट्स एकेडमी में 3 से 13 साल तक के बच्चों की फिटनेस पर खास जोर दिया जा रहा है। उनकी रूचि के अनुसार खेल चुनने व प्रशिक्षण दिया जा रहा है। प्रशिक्षक गौतम राय व अलका पटेल आदि खेल से जुड़ी बारीकियां सीखने-समझने और उसी के अनुसार तैयारी करा रहे हैं।

पहले देखते रूचि, फिर ट्रेनिंग-
स्पोर्टस नर्सरी के संस्थापक सदस्याें में शामिल प्रशिक्षक अजीतकुमार जैन के अनुसार शुरू में सभी बच्चों को सभी तरह के खेल प्रशिक्षकों की निगरानी में खिलाया जाता है, ताकि उनकी रूचि व प्रतिभा पहचान सकें। फिर बच्चे को तय खेल में प्रशिक्षण देंगे ताकि दक्षता हासिल कर सके।