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रेलवे फाटक पर ओवरब्रिज बनाने के लिए अदालत में लगाई गुहार

- आयुक्त को किया तलब, दस को देना होगा जवाब - भाजपा ने दिया ज्ञापन, कांग्रेस ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र

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रेलवे फाटक पर ओवरब्रिज बनाने के लिए अदालत में लगाई गुहार

रेलवे फाटक पर ओवरब्रिज बनाने के लिए अदालत में लगाई गुहार

भीलवाड़ा. टेक्सटाइल सिटी भीलवाड़ा में एक और ओवरब्रिज बनाने के लिए अदालत में गुहार लगाई गई है। राजस्थान पत्रिका की ओर से जनता के दर्द को लेकर उठाई जा रही आवाज को आधार मानते हुए अदालत में वाद दायर किया गया है। स्थाई लोक अदालत ने नगर परिषद आयुक्त को नोटिस जारी कर तलब किया। उधर, भाजपा और कांग्रेस ने भी ओवरब्रिज बनाने को लेकर कदम बढ़ाए हैं।

बीआर अम्बेडकर जिला लॉयर एसोसिएशन के अध्यक्ष एडवोकेट सीताराम खटीक ने अदालत में वाद दायर किया। वाद में में बताया कि भीलवाड़ा शहर की बढ़ती आबादी एवं यातायात के दबाव के चलते दिन में कई बार रेलवे फाटक के बंद होने के बाद जाम लगता है। लोग घंटों जाम में फंसने से आजिज आ चुके हैं। ऐसे में जनता को इस समस्या से निजात के लिए बस एक और ओवरब्रिज चाहिए। अदालत ने परिषद आयुक्त दुर्गा कुमारी को नोटिस जारी करके 10 जनवरी को पेश होने के आदेश दिए हैं।
भाजपा का प्रदर्शन: अभियान की शुरुआत कल

ओवरब्रिज की मांग को लेकर भाजपा जिलाध्यक्ष लादूलाल तेली के नेतृत्व में प्रतिनिधि मंडल ने कलक्ट्रेट पर प्रदर्शन कर कलक्टर आशीष मोदी को ज्ञापन सौंपा। प्रवक्ता कैलाश सोनी ने बताया कि 11 वर्ष पहले जिन्दल व नगर परिषद के बीच ओवरब्रिज बनाने को लेकर करार हुआ था। करार के अनुसार ब्रिज का निर्माण नहीं करवा कर शहर की जनता के साथ धोखा हुआ। जिलाध्यक्ष तेली ने कहा कि प्रशासन सम्बंधित विभागों से आपसी वार्ता और समन्वय करके ब्रिज निर्माण का प्रस्ताव बनाकर सरकार को भेजे। भाजपा की ओर से धरना, प्रदर्शन, पोस्टकार्ड अभियान, मिस्ड कॉल समेत विभिन्न आंदोलन की शुरुआत 25 दिसम्बर को सूचना केन्द्र चौराहे से होगी।
मुख्यमंत्री को लिखा पत्र, झूठे तथ्य पेश किए

जिला कांग्रेस कमेटी के महासचिव महेश सोनी व ईश्वर खोईवाल ने ओवरब्रिज की मांग को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखा है। पत्र में बताया कि रेलवे पटरी पार बढ़ते यातायात दबाव के कारण रामधाम के सामने ओवरब्रिज की आवश्यकता है। जिन्दल ने नगर परिषद से 5 अक्टूबर 2011 को समझौता किया था। इसमें रामधाम के सामने प्रस्तावित ओवरब्रिज के लिए 30 करोड की लागत से बनाने, ओवरब्रिज निर्माण तथा भूमि का मुआवजा एवं अन्य खर्चा जिन्दल को वहन करना था। शहर के नाले नालियों का निर्माण व रखरखाव एवं सफाई का खर्चा भी कम्पनी को उठाना था। शहर के पार्को का रख रखाव भी कम्पनी को करना है। सोनी व खोईवाल ने आरोप लगाया कि ओवरब्रिज निर्माण से 400 पेडों को काटे जाने का गलत आधार एनजीटी में पेश कर को गुमराह किया गया जबकि मौके पर 10 पेड़ भी नहीं हैं। इससे ओवरब्रिज की कार्रवाई रुक गई। जबकि ओवरब्रिज महत्ती जरूरत है।