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मुर्गीपालन से आत्मनिर्भरता की राह, किसानों को मिले निशुल्क चूजे

- महिला मुर्गीपालकों का उत्साहवर्धन: घर की पोषण कमी दूर करने पर जोर

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Poultry farming offers a path to self-reliance; farmers receive free chicks.

Poultry farming offers a path to self-reliance; farmers receive free chicks.

कृषि विज्ञान केन्द्र भीलवाड़ा में राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रबंधन अकादमी हैदराबाद की ओर से प्रायोजित अनुसूचित जाति उपयोजना के तहत पांच दिवसीय घर के पिछवाड़े मुर्गीपालन द्वारा दक्षता विकास विषयक प्रशिक्षण आयोजित किया गया। प्रशिक्षण में जिले के 40 किसान और कृषक महिलाओं ने भाग लेकर मुर्गीपालन को व्यवसाय के रूप में अपनाने की तकनीकी जानकारी ली।

समापन सत्र की अध्यक्षता करते हुए नार्म हैदराबाद की प्रधान वैज्ञानिक बी निर्मला ने किसानों से आह्वान किया कि मुर्गीपालन को अपनाकर किसान परिवार की आजीविका सुदृढ़ कर सकते हैं। केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष सीएम यादव ने निदेशक गोपाल लाल एवं वैज्ञानिकों का आभार जताते हुए कहा कि मुर्गीपालन आज किसानों के लिए लाभकारी व्यवसाय बनकर उभर रहा है। यादव ने प्रशिक्षणार्थियों को प्रतापधन नस्ल, मुर्गियों का आहार एवं आवास, प्रमुख रोग एवं रोग नियंत्रण की विस्तृत जानकारी दी। प्रत्येक किसान को 20–20 प्रतापधन नस्ल के चूजे एवं फीडर निःशुल्क उपलब्ध कराए गए, ताकि वे प्रशिक्षण के तत्काल बाद व्यवसाय शुरू कर सकें। वरिष्ठ अनुसंधान अधिकारी लालचंद कुमावत ने मुर्गीपालन में बाजार की मांग, विपणन रणनीति और लाभ-हानि की संभावनाओं पर जानकारी दी। इसके अलावा कार्यक्रम में कृषि महाविद्यालय भीलवाड़ा के पूर्व डीन केएल जीनगर, सुचित्रा दाधीच, उदयपुर के पूर्व निदेशक जेएल चौधरी, पशुपालन वैज्ञानिक एचएल. बुगालिया, फार्म मैनेजर गोपाललाल टेपन ने भी तकनीकी प्रशिक्षण प्रदान किया।