
Prajapati Samaj roared in protest against the ban on soil exploitation
आवा-कजावा चिमनी ईंट भट्टों पर किसी भी प्रकार की पाबंदी लगाने के विरोध में बुधवार को कलक्ट्रेट पर कुम्हार-प्रजापत समाज के हजारों लोगों ने प्रदर्शन किया। समाजजनों ने ईंट उद्योग को लघु परंपरागत व्यवसाय बताते हुए सरकार से इस पर किसी भी प्रकार की रॉयल्टी नहीं लगाने व मिट्टी दोहन की छूट पूर्ववत जारी रखने की मांग की।
प्रदर्शन के दौरान समाज के लोगों ने कहा कि कुम्हार-प्रजापत समाज मिट्टी से बर्तन, खिलौने और ईंट आदि बनाने का कार्य करता है, यह पुश्तैनी पारंपरिक कला है। कुम्हार-प्रजापत के परिवार इस काम से ही अपने बच्चों की शिक्षा, पालन-पोषण और जीविका चलाते हैं। वर्तमान में सरकारी उपेक्षा के चलते यह समाज लगातार पिछड़ता जा रहा है और इनकी कला लुप्त होने के कगार पर है।
"मिट्टी हमारा जीवन है, इसे छीनने की कोशिश बंद हो"
समाजजनों ने दो टूक कहा कि मिट्टी का दोहन उनके लिए आजीविका का एकमात्र साधन है। इस पर पाबंदी या रॉयल्टी लगाने का निर्णय उनके जीवन पर सीधा हमला होगा। यदि यह निर्णय वापस नहीं लिया गया तो राज्यव्यापी आंदोलन की चेतावनी भी दी गई।
माटी कला बोर्ड बना, मगर समाज को लाभ नहीं
प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि सरकार की ओर से स्थापित श्रीयादे माटी कला बोर्ड में कुम्हार-प्रजापत समाज की भागीदारी नगण्य है। बोर्ड पर अन्य समाज के व्यक्ति को अध्यक्ष बनाया गया है, जिससे इस समाज को कोई ठोस लाभ नहीं मिल पा रहा।
ज्ञापन में उठाए गए मुद्दे
समाज की ओर से मुख्यमंत्री के नाम जिला कलक्टर को ज्ञापन सौंपा गया, जिसमें समाज के शोषण और उपेक्षा का विस्तृत विवरण देते हुए मांगें रखी गईं। समाज ने चेताया कि यदि इन मांगों को शीघ्र पूरा नहीं किया गया तो आंदोलन तेज किया जाएगा। समाजजनों ने कहा कि हमारी परंपरा, रोजगार और स्वाभिमान मिट्टी से जुड़ा है। सरकार से अपेक्षा है कि वह हमें राहत दे, न कि जीवन का आधार छीन ले। इस अवसर पर विकास प्रजापत, कन्हैया प्रजापत, हरिओम प्रजापत, मिट्ठू प्रजापत, नारायण प्रजापत, भैरुलाल प्रजापत, पंकज प्रजापत, गोपाल लाल प्रजापत व दीपक प्रजापत सहित काफी संख्या में समाज जन मौजूद रहे।
यह हैं प्रमुख मांगे
Published on:
07 Aug 2025 08:56 am
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