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भारतीय जन औषधि योजना का हस्र : दर्द कैसे हो दूर, जब दवा नहीं भरपूर

मांग के अनुरूप दवा उपलब्ध नहीं होने से ये परियोजना जरूरतमंदों को राहत नहीं दे पा रही है

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केन्द्र सरकार की प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि योजना के हाल भी ठीक नहीं है। मांग के अनुरूप दवा उपलब्ध नहीं होने से ये परियोजना जरूरतमंदों को राहत नहीं दे पा रही है।

भीलवाड़ा।

सरकारी योजनाओं का जिले में पिटारा खुला है, लेकिन अधिकांश पर केवल सरकारी लेबल ही है। इन्ही योजनाओं में शुमार केन्द्र सरकार की प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि योजना के हाल भी ठीक नहीं है। मांग के अनुरूप दवा उपलब्ध नहीं होने से ये परियोजना जरूरतमंदों को राहत नहीं दे पा रही है। हालांकि कई लोग एेसे भी है जो इसे वरदान मानते है।

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प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना को लेकर सरकार एवं जिला प्रशासन का दावा है कि खुले दवा केन्द्र मरीजों के लिए वरदान सााबित हो रहे है। केन्द्रों पर उपलब्ध अधिकांश दवा बाजार से 75 प्रतिशत कम मूल्य पर मिल रही है। बाजार से 25 प्रतिशत मूल्य पर दवा मिलने से मरीजों को बड़ी राहत मिल रही है। विशेषकर ऐसे मरीज जो दवा से ही जी रहे है, उनके लिए यह रियायत लाइफ लाइन है। भीलवाड़ा में इस परियोजना का एकमात्र केन्द्र महात्मा गांधी चिकित्सालय के आउटडोर के सामने है।

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केन्द्र पर पत्रिका टीम पहुंची व मरीजों से बात की तो उन्होंने इसे निर्धन मरीजों के लिए वरदान बताया। वहीं कुछ ने कहा, यहां जरूरत के मुताबिक दवा नहीं मिल रही है। महज परियोजना की तय सूची में से 50 फीसदी दवा ही उपलब्ध है। कई दवा तो एक बार मिलती है और दोबारा मिलती ही नहीं है। वहीं रूपाहेली की नन्दू बाई भी बीपी की एक माह की दवा मात्र 9 रुपए में पाकर प्रसन्न है। भीलवाड़ा के आरके कॉलोनी के प्रदीप हिम्मतरामका व आरसी व्यास कॉलोनी निवासी अनिल अग्रवाल ने भी इस योजना को निर्धन मरीजों के लिए वरदान बताया।

पूरा स्टॉक नहीं आने से परेशानी
अधिकांश दवा बाजार से 75 प्रतिशत कम मूल्य पर मिलने से बीपीए शुगर, हृदय रोगए,चर्म रोग, अस्थमा, मनोरोग, डायरिया, डीहाइड्रेशन से पीडि़त लोगों को राहत मिली है। चिकित्सालय प्रशासन के जरिए राज्य सरकार से दवाओं को समय पर भेजने व पूरा स्टॉक दिए जाने की मांग की जाती रही है। कई बार पूरा स्टॉक नहीं आने से परेशानी जरूर होती है।
अंकुर-किशनलाल मानसिंहका, केंद्र संचालक