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खेत में चारा काटते समय सामना हुआ अजगर से और फिर शुरू हुआ रेस्क्यू आॅपरेशन

locationभीलवाड़ाPublished: Sep 09, 2018 07:14:28 pm

Submitted by:

Nidhi Mishra

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python rescue from Bhilwara

python rescue from Bhilwara

बागौर/भीलवाड़ा। गुरलां कस्बे के लाला पिता बिहारी सुवालका का काबरा मगरा के पास गिरन्या मे खेत के अंदर चारा काटते समय अजगर दिखा। इस पर वाइल्ड एनिमल रेस्क्यू सेंटर ओर ऐम एजुकेशन एंड ह्यूमन डवलपमेंट सोसाइटी के सचिव कुलदीप सिंह राणावत और वन विभाग की टीम के भंवरसिह रावत मौके पर पहुंचे और अजगर को खेत से बाहर रेस्क्यू करके निकाला। कुलदीप सिंह राणावत ने बताया कि इस प्रजाति को इंडियन रॉक पाइथन हिंदी में अजगर कहते हैं। यह बिना जहर का सांप होता है। यह भारत का सबसे शक्तिशाली सांप है। रेस्क्यू के तुरंत कुछ देर बाद गुरलां वन क्षेत्र मे प्रकृति प्रवेश अजगर को फोरेस्टर चंद्रपाल सिंह के दिशा निर्देश अनुसार इसको प्रकृति प्रवेश में रिलीज कर दिया गया। खेत में अजगर होने की सूचना मिलते ही ग्रामीण नवयुवक अजगर देखने के लिए खेत पर आ गए।

घर में सांप घुसने से पड़ोसी के बिताई रात
कस्बे में एक घर के अंदर बुधवार रात कोबरा घुसने से परिजनों को पड़ोसी के घर में रात गुजारनी पड़ी। सूचना पर गुरुवार को मौके पर पहुंची वन विभाग की टीम ने कोबरा को पकड़कर जंगल में छोड़ा। जानकारी के अनुसार बुधवार देर रात एक मकान में कोबरा घुसने से ग्रामीणों में दहशत फैल गई। घर के सभी सदस्यों को पड़ोसी के घर में रात गुजारनी पड़ी। गुरुवार सुबह फोरेस्टर हनुमान गुर्जर, लादूलाल शर्मा, वन रक्षक लोकेंद्र सिंह ने काफी मशक्कत के बाद कोबरा को पकड़ा तथा उसे जंगल में ले जाकर छोड़ा।

पहले भी हुआ कोबरा का लाइव रेस्क्यू
इसी तरह गुरलां कस्बे में 6 दिन पहले मंगलवार को सुबह बाबूलाल रेगर के नोहरे में 6 फिट लम्बा कोबरा निकला जो नोहरे में पाल रखी मुर्गियों में से 4 मुर्गियों को निशाना बना चुका था। इस कोबरा सांप को कुलदीप सिंह राणावत ने रेस्क्यू कर गुरलां के वन क्षेत्र में छोड़ दिया। गुरलां के नारायणलाल माली ने बताया कि गुरलां निवासी बाबूलाल रेगर ने उसके नोहरे में मुर्गी पालन कर रखा है। जहां रक्षाबंधन के दिन नोहर में एक मुर्गी मरी हुई थी।
वही मंगलवार की सुबह फिर एक मुर्गी और मरी हुई मिली जिस पर रेगर को शंका हुई कि कोई जानवर नोहरे में है और उसके काटने की वजह से ही मुर्गियां मरी है। फिर रेगर ने नोहरे की छानबीन की तो मुर्गियों की कोठी (घर) में बैठा हुआ काले रंग का कोबरा दिखाई दिया। इस पर रेगर ने कुलदीप सिंह राणावत को सूचना देकर नोहरे में बुलाया जहां राणावत ने रेसक्यू करके सांप को लोहे की छड़ी की सहायता से पकड़ कर प्लास्टिक के डिब्बे में बंद करके उसे गुरलां के जंगल में छोड़ दिया। राणावत ने बताया कि कोबरा बहुत जहरीला सांप होता है । राणावत द्वारा रेगर के नोहरे में किये गये रेस्क्यू के दौरान सांप को पकड़ने की कला को देखने के लिए गुरलां के ग्रामीणों की भीड़ जमा हो गई थी ।
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