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मर्यादा पत्र का वाचन, ज्ञान के विकास की प्रेरणा दी

साध्वी गुणश्री की स्मृति सभा

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मर्यादा पत्र का वाचन, ज्ञान के विकास की प्रेरणा दी

मर्यादा पत्र का वाचन, ज्ञान के विकास की प्रेरणा दी

भीलवाड़ा।
आचार्य महाश्रमण के सान्निध्य में शनिवार को चतुर्दशी पर हाजरी मर्यादा पत्र का वाचन हुआ। साधु-साध्वियों ने आचार्य के समक्ष मर्यादा सूत्रों का उच्चारण किया। आचार्य के इंगित से नवदीक्षित साध्वी ने लेखपत्र का वाचन किया। आचार्य ने साध्वी को २१-२१ कल्याणक (आध्यात्मिक निधि) की बख्शीश दी।
आचार्य महाश्रमण ने कहा कि भीलवाड़ा का चातुर्मास एक प्रकार से विरल है। इतने साधु-साध्वियों का बहुत वर्षों बाद चातुर्मास हो रहा है। इस समय को सार्थक बनाने का प्रयास करे। जीवन दो चीजों से जुड़ा हुआ है। शरीर और आत्मा। आत्मा अदृश्य होती है पर अतीन्द्रिय ज्ञान द्वारा इसे जाना जा सकता है। जितनी सीमा तक हो सके व्यक्ति को अपनी प्रतिभा, ज्ञान का विकास करना चाहिए। कितने ही विद्वान चारित्र आत्माएं इस बार साथ है। सबमें आपस में ज्ञान का आदान-प्रदान होता रहे। ज्ञान ग्रहण कर उस पर फिर मनन चिंतन भी हो तो ज्ञान और पुष्ट हो जाता है। साधु का आचार उसकी संपत्ति होती है। पांच महाव्रत, पांच समितियां एवं तीन गुप्तियां का जो व्रत है उसके सामने विश्व के सब धनवानों की संपति का भी कोई मूल्य नहीं है। आचार, चारित्र की संपत्ति अमूल्य है जो आगे तक साथ जाती है। जीवन में मर्यादा एवं आचार निष्ठा के प्रति जागरूकता रखनी चाहिए। प्रमाद वश कोई दोष लग जाए तो प्रायश्चित द्वारा इस संयम की चद्दर को निर्मल कर लेना चाहिए।
साध्वी गुणश्री की स्मृतिसभा हुई। साध्वी का 5 अगस्त 2021 को बीदासर में देवलोकगमन हो गया था। आचार्य ने साध्वी की आत्मा के प्रति मंगलकामना व्यक्त की। मुनि महावीर कुमार, साध्वीप्रमुखा कनकप्रभा, साध्वी कल्पलता, साध्वी शुभप्रभा, साध्वी संवरप्रभा, साध्वी सुषमा कुमारी ने विचार व्यक्त किए।