टेक्सटाइल उद्योगों में सोलर आधारित कैप्टिव पावर प्लांट लगे हैं वह बिजली स्वयं के उपयोग में ले रहे हैं। लोड क्षमता 200 प्रतिशत करने से टेक्सटाइल उद्योगों को फायदा तो होगा, लेकिन बैटरी में बिजली स्टोर करने की शर्त बड़ी बाधा बन सकती है। हालांकि इस बैटरी से औद्योगिक इकाइयों को सस्ती बिजली मिलेगी। प्रदेश में 800 मेगावाट क्षमता के कैप्टिव पावर प्लांट लगे हैं। इसमें सबसे ज्यादा भीलवाड़ा, जैसलमेर, बाडमेर व बांसवाड़ा में लगे हैं।
पहले यह था अब तक उपभोक्ता अपनी विद्युत लोड क्षमता तक ही सोलर पैनल लगा सकते थे। जैसे किसी उद्योग में लोड 100 किलोवाट है तो वह 100 किलोवाट तक ही सोलर पैनल लगा सकता था। लेकिन अब आयोग के आदेश के बाद वह 200 किलोवाट तक सोलर पैनल लगा सकेगा।
सरकार ने की थी घोषणा राज्य सरकार ने बजट भाषण में इसकी क्षमता 200 प्रतिशत करने की घोषणा की थी। उसके तहत ही राज्य विद्युत विनियामक आयोग ने ही तय क्षमता से दुगना सोलर पैनल लगाने की अनुमति दी है। आयोग ने उपभोक्ताओं को व्हीलिंग और ट्रांसमिशन चार्ज में भी राहत दी है। अभी इनसे 1.25 से 2 रुपए प्रति यूनिट तक चार्ज लिया जाता था। अब इसमें 75 से 100 फीसदी तक छूट मिलेगी। यह शुल्क ट्रांसमिशन लाइनों का उपयोग करने वाले उपभोक्ताओं से लिया जाता है।
टेक्सटाइल उद्योगों को होगा फायदा विनियामक आयोग ने अपनी क्षमता से दोगुना सोलर प्लांट लगाने की सहमति दी है। यह टेक्सटाइल सेक्टर के लिए अच्छा कदम है, लेकिन 20 प्रतिशत बिजली को स्टोर करने के लिए बैटरी लगाने की शर्त लागू करने से उद्योगों को उलझा दिया है।
आरके जैन, महासचिव मेवाड़ चैम्बर ऑफ कामर्स