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आरपीसीबी ने की क्वालिटी सूटिंग्स का प्लांट बंद करने की सिफारिश

- डीसल्फराइजेशन–डियोडोराइजेशन टावर, नया ईटीपी और फॉगर इंटरलॉकिंग लगाने होंगे - शर्तें पूरी होने तक संचालन पर रोक का प्रस्ताव

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Quality Suitings plant to be shut down; RPCB has made the recommendation.

Quality Suitings plant to be shut down; RPCB has made the recommendation.

राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने गुवारडी स्थित क्वालिटी सूटिंग्स प्रा.लि. टायर बेस्ड ऑयल फैक्ट्री को बंद रखने की सिफारिश की है। मंडल की ओर से भेजी गई रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि जब तक पर्यावरण संरक्षण से जुड़े आवश्यक सुधार और सुझाए गए तकनीकी उपाय लागू नहीं किए जाते, तब तक फैक्ट्री का संचालन जनस्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए खतरा बना रहेगा।

आरपीसीबी की जांच टीम में शामिल वैज्ञानिक अधिकारी श्वेता दाधीच एवं कनिष्ठ पर्यावरण अभियंता कन्हैयालाल कुमावत ने फैक्ट्री का निरीक्षण कर अपनी विस्तृत रिपोर्ट क्षेत्रीय अधिकारी दीपक धनेटवाल को सौंपी। इसके बाद धनेटवाल ने अपने सुझावों के साथ यह रिपोर्ट मुख्यालय भेज दी है।

पहले भी दी जा चुकी है बंदी की सिफारिश

गौरतलब है कि इससे पहले भी प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने इस उद्योग को बंद कराने की अनुशंसा की थी। कुछ समय तक प्लांट बंद रहने के बाद राजनीतिक हस्तक्षेप के चलते पुनः संचालन शुरू हो गया। इससे आसपास के ग्रामीणों को दुर्गंध और जहरीली गैसों की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। हाल ही में विरोध प्रदर्शन के दौरान दो युवक 40 मीटर ऊंची चिमनी पर चढ़ गए थे। इससे मामला प्रदेशभर में चर्चा का विषय बन गया।

ये सुधार किए बिना नहीं खुलेगा प्लांट

आरपीसीबी की रिपोर्ट में फैक्ट्री प्रबंधन को कई शर्तें पूरी करने के निर्देश दिए गए हैं। इनमें मुख्य सप्लाई के साथ फॉगर का इंटरलॉकिंग सिस्टम लगाना, नया ईटीपी (इफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट) स्थापित करना और गंदे पानी का समुचित उपचार सुनिश्चित करना शामिल है। साथ ही फॉगर से निकलने वाले पानी को पुनः ईटीपी में भेजना अनिवार्य किया गया है।

लगाना होगा टावर

बदबू और विषैली गैसों की समस्या से निपटने के लिए डीसल्फराइजेशन और डियोडोराइजेशन टावर लगाने के निर्देश भी दिए गए हैं। ये उपकरण विशेष रूप से हाइड्रोजन सल्फाइड गैस को हटाने में उपयोगी होते हैं, साथ ही एनओएक्स, सीओएक्स और एसओएक्स जैसी अन्य हानिकारक गैसों के उत्सर्जन को भी कम करते हैं।

देना होगा एक्शन प्लान

धनेटवाल के अनुसार, उत्पादन प्रक्रिया के दौरान निकलने वाली अतिरिक्त गैस के दोबारा उपयोग के लिए फैक्ट्री प्रबंधन को समयबद्ध एक्शन प्लान तैयार कर विभाग में जमा कराना होगा। साथ ही जिला कलक्टर से आग्रह किया गया है कि सभी सुधार लागू होने के बाद विभिन्न विभागों की संयुक्त टीम से पुनः सर्वे कराया जाए, ताकि नियमों की सही पालना सुनिश्चित हो सके।

टायर जलाने से निकलती हैं जहरीली गैसें

टायर जलाकर काला ऑयल बनाने वाली फैक्ट्रियों से सल्फर डाइऑक्साइड सहित कई विषैली गैसों का उत्सर्जन होता है, जो पर्यावरण और मानव जीवन के लिए गंभीर खतरा है। इसके दुष्प्रभावों को देखते हुए प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने ऐसे उद्योगों में सल्फर गैस के उत्सर्जन को नियंत्रित करने के लिए विशेष उपकरण लगाने के निर्देश पहले से जारी कर रखे हैं।