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कोठारी व बनास नदी से दूषित पानी के 80 से अधिक लिए नमूने

पीपुल फॉर एनीमल्स के प्रदेश प्रभारी जाजू के पत्र को एनजीटी ने मानी याचिका

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Samples for more than 80 contaminated water Kothari and Banas river in bhilwara

Samples for more than 80 contaminated water Kothari and Banas river in bhilwara

भीलवाड़ा।
Pollution control board प्रदूषति हो चुकी कोठारी व बनास नदी से शनिवार को राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने २५ किलोमीटर परिधि क्षेत्र से ८० से अधिक दूषित पानी के नमूने लिए हैं। नमूने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की प्रमुख बैंच नई दिल्ली के आदेश पर लिए गए। दोनों नदियों के दूषित होने तथा आस-पास की खेती की जमीन बंजर होने पर पीपुल फॉर एनीमल्स के प्रदेश प्रभारी बाबूलाल जाजू ने पत्र लिखा था। एनजीटी ने पत्र को याचिका मानते हुए कार्रवाई के आदेश दिए।
Pollution control board प्रदूषण नियंत्रण मंडल के क्षेत्रीय अधिकारी महावीर मेहता ने बताया कि मुख्यालय से मिले निर्देश के बाद शनिवार को कोठारी व बनास नदी से दूषित पानी के नमूने लेने के लिए टीमें भेजी गई। कोठारी नदी में मेजा बांध से सवाईपुर के निकट तक ३० से अधिक नमूने लिए। चित्तौडग़ढ़ हाईवे से लेकर मंगरोप से पांच किलोमीटर दूर तक बनास नदी में भरे पानी के भी ५० से अधिक नमूने लिए।

पांच नाले मिल रहे कोठारी में
शहर के पांच बड़े नाले कोठारी नदी में मिल रहे हैं। दूषित पानी नदी से होता हुआ खेतों व सुवाणा एनिकट तक पहुंच रहा है। यह पानी बेटी गौरव उद्यान के पास से, कोठारी नदी पर बन रही पुलिया के पास, अग्रवाल समाज भवन, उत्सव रिसोर्ट तथा चित्रकूट नगर के पास के नाले कोठारी में गिर रहे हैं। बेटी गौरव उद्यान व पुलिया के पास वाले नाले में आरके-आरसी व्यास कॉलोनी का पानी आ रहा है। उत्सव रिसोर्ट व अग्रवाल भवन के पास शादी समारोह का गंदा पानी मिल रहा है।
बनास में उद्योगों का पानी
प्रोसेस हाउस से निकलने वाला दूषित पानी बनास नदी में आ रहा है। यह समस्या कई सालों से है। इससे सैकड़ों बीघा खेत व कुओं का पानी खराब हो गया। मवेशी तक पानी नहीं पी सकते हैं। सबसे ज्यादा प्रदूषित पानी प्रोसेस हाउस से निकलने वाले रसायनयुक्त पानी से हो रहा है।

विदेशी पक्षियों ने मुंह मोड़ा
गांधीसागर, धांधोलाई व मानसरोवर झील में पिछले कुछ वर्षों से सर्दियों में आने वाले देशी व विदेशी पक्षियों का आना कम हो गया है। पीपुल फॉर एनीमल्स के प्रदेश प्रभारी बाबूलाल जाजू ने बताया कि शहर की कॉलोनियों के मलमूत्र वाले गंदे पानी के नाले सीधे तीनों तालाब में छोड़े जाने से झीलों में हर समय पानी के ऊपर कचरा तैरता रहता है। पानी सड़ांध मारता है। इससे आस-पास के लोग परेशान हैं। जाजू ने बताया कि तीनों तालाब व झील के विकास पर करोड़ों रुपए खर्च कर दिए गए हैं। इसके बाद भी दूषित पानी नहीं रोका जा रहा है।