भीलवाड़ा में पारा 42 पार चल रहा है। इसके चलते हर कूलर में पानी की खपत भी दोगुनी हो गई। यानी जितनी जरूरत प्रति व्यक्ति को है उसकी आधे से ज्यादा पानी कूलर गटक रहे हैं। वर्तमान में शहर में करीब 50 हजार कूलर को 50 लाख लीटर से ज्यादा पानी रोज चाहिए। गर्म हवा फेंकते पंखों की बजाय कूलर मध्यम और निम्न मध्यम वर्गीय परिवार की राहत का जरिया है। इसलिए बिजली की खपत भी बढ़ गई है।
इतना चाहिए रोज पानी
शहर में करीब 50 हजार कूलर है। अमूमन एक कूलर को रोज 40 लीटर पानी चाहिए। एक सप्ताह से पारा 42 के पार जाने से दिन-रात कूलर चल रहे हैं। एक कूलर की खपत बढ़कर 80 लीटर पहुंच गई। इससे आमजन के लिए जलापूर्ति की डिमाण्ड बढ़ गई। इसे जलदाय विभाग और चम्बल परियोजना अधिकारी पूरी नहीं कर पा रहे हैं। इसका कारण मेजा बांध से जनवरी में जवाब दे दिया। जितना ककरोलिया घाटी से पेयजल आपूर्ति हो रही है। उसका पानी केवल कूलर ही पी रहे है।
शहर में करीब 50 हजार कूलर है। अमूमन एक कूलर को रोज 40 लीटर पानी चाहिए। एक सप्ताह से पारा 42 के पार जाने से दिन-रात कूलर चल रहे हैं। एक कूलर की खपत बढ़कर 80 लीटर पहुंच गई। इससे आमजन के लिए जलापूर्ति की डिमाण्ड बढ़ गई। इसे जलदाय विभाग और चम्बल परियोजना अधिकारी पूरी नहीं कर पा रहे हैं। इसका कारण मेजा बांध से जनवरी में जवाब दे दिया। जितना ककरोलिया घाटी से पेयजल आपूर्ति हो रही है। उसका पानी केवल कूलर ही पी रहे है।
गर्मी में एसी-कूलर और पंखे डालते जेब पर भार
जिले में भीषण गर्मी का कहर जारी है। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार पारा अभी और चिढ़ाएगा। इससे आने वाले दिनों में गर्मी से राहत की उम्मीद नहीं लग रही। गर्मी से बचाव के लिए एसी और कूलर ही है। पंखों के गर्म हवा फेंकने के कारण दिन-रात कूलर और एसी चल रहे है। इससे बिजली खपत भी बढ़ गई है। हालांकि आमजन का बिजली का बिल जेब पर भार डाल रहा है।
जिले में भीषण गर्मी का कहर जारी है। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार पारा अभी और चिढ़ाएगा। इससे आने वाले दिनों में गर्मी से राहत की उम्मीद नहीं लग रही। गर्मी से बचाव के लिए एसी और कूलर ही है। पंखों के गर्म हवा फेंकने के कारण दिन-रात कूलर और एसी चल रहे है। इससे बिजली खपत भी बढ़ गई है। हालांकि आमजन का बिजली का बिल जेब पर भार डाल रहा है।
चम्बल और ककरोलिया बना सहारा
इस समय शहर में चम्बल परियोजना से आठ करोड़ लीटर तथा ककरोलिया घाटी से पचास लाख लीटर पानी मिल रहा है। इसके अलावा लोग अपने घरों के आसपास के हैण्डपम्प व ट्यूबवैल से भी पानी काम में ले रहे है। गर्मी के साथ ही पानी की मांग भी तेजी से बढ़ गई है। गर्मी में पानी की सर्वाधिक खपत कूलर में होती है। इसके साथ ही नियमित दिनचर्या में भी पानी की मांग बढ़ जाती है।
इस समय शहर में चम्बल परियोजना से आठ करोड़ लीटर तथा ककरोलिया घाटी से पचास लाख लीटर पानी मिल रहा है। इसके अलावा लोग अपने घरों के आसपास के हैण्डपम्प व ट्यूबवैल से भी पानी काम में ले रहे है। गर्मी के साथ ही पानी की मांग भी तेजी से बढ़ गई है। गर्मी में पानी की सर्वाधिक खपत कूलर में होती है। इसके साथ ही नियमित दिनचर्या में भी पानी की मांग बढ़ जाती है।
कूलर ने बढ़ाई खपत
शहर में भीषण गर्मी का दौर चल रहा है। इससे निजात के लिए दिन-रात कूलर चल रहे हैं। कूलर में पानी की खपत बढ़ी है। विभाग शहर में पर्याप्त आपूर्ति कर रहा है। कूलर में खपत बढ़ने से लोगों के लिए पेयजल की डिमाण्ड बढ़ी है।
- निरंजन आढ़ा, अधिशासी अभियंता, जलदाय विभाग
शहर में भीषण गर्मी का दौर चल रहा है। इससे निजात के लिए दिन-रात कूलर चल रहे हैं। कूलर में पानी की खपत बढ़ी है। विभाग शहर में पर्याप्त आपूर्ति कर रहा है। कूलर में खपत बढ़ने से लोगों के लिए पेयजल की डिमाण्ड बढ़ी है।
- निरंजन आढ़ा, अधिशासी अभियंता, जलदाय विभाग