अब बारहवीं तक के संस्कृत स्कूलों में शुक्ल यजुर्वेद की पढ़ाई शुरू होगी। अभी तक प्रदेश के छह स्कूलों में यह पढ़ाई हो रही है। पहले प्रदेश में संस्कृत के 273 वरिष्ठ उपाध्याय विद्यालय थे। पिछले बजट में सरकार ने 225 प्रवेशिका विद्यालयों को भी वरिष्ठ उपाध्याय स्कूलों में क्रमोन्नत करने की घोषणा कर दी। अब 498 सरकारी वरिष्ठ उपाध्याय संस्कृत स्कूलों में शुक्ल यजुर्वेद की पढ़ाई होगी। संस्कृत शिक्षा के सहायक निदेशक ने संभागीय संस्कृत शिक्षा अधिकारियों को पत्र लिखकर शुक्ल यजुर्वेद कहां-कहां स्वीकृत है और कहां नहीं है। इसकी जानकारी मांगी है।
यह होगा फायदा
शुक्ल यजुर्वेद को वेदों का ही एक छोटा हिस्सा माना जाता है। इसमें मुख्यत: पांडित्य कर्म, पूजा पाठ, श्लोक का सही उच्चारण करना आदि सिखाए जाते हैं। इसकी पढाई के बाद युवा खुद अपनी आजीविका कमा सकते हैं। साथ ही वेदों का व संस्कृत को बढ़ावा मिलेगा।
युवाओं को मिलेगा रोजगार का विकल्प
शुक्ल यजुर्वेद नया संकाय शुरू करने के लिए व्याख्याताओं की जरूरत भी पड़ेगी। ऐसे में संस्कृत से शिक्षा शास्त्री, आचार्य व अन्य उच्च शिक्षा प्राप्त युवाओं के लिए सरकारी नौकरी के अवसर मिलेंगे। युवा डॉक्टर व इंजीनियर बनने की तरफ ज्यादा दौड़ रहे हैं। ऐसे में संस्कृत युवाओं को कॅरियर का नया विकल्प देगा मिलेगा। इसका फायदा प्रदेश की ४९८ संस्कृत स्कूलों को होगा। साथ ही प्रदेश के प्रत्येक संभाग मुख्यालय पर वेद स्कूलों की स्थापना होगी। यहां पढ़ाई के साथ ही रहने, पुस्तकें, ड्रेस, नाश्ता, भोजन आदि सुविधाएं मिलेगी।
भीलवाड़ा जिले की 13 स्कूलें
राजकीय वरिष्ठ उपाध्याय संस्कृत विद्यालय हमीरगढ़, खजीना, कोटड़ी, जहाजपुर, पंडेर, सांगरिया, मांडल, छाजवों का खेड़ा, ब्राह्मणों की सरेरी, मेघरास, रायपुर, खजूरी, आमलियों की झोपड़ी शामिल हैं।
संस्कृत को मिलेगा बढ़ावा
भीलवाड़ा जिले की 13 संस्कृत विद्यालयों के नाम सरकार को भेज दिए हैं। शुक्ल यजुर्वेद की पढ़ाई शुरू होने से युवाओं को कॅरियर का नया विकल्प मिलेगा। संस्कृत को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही व्याख्याताओं की भर्ती होने से युवाओं को सरकारी नौकरी के नए अवसर मिलेंगे।
कृष्ण गोपाल जांगिड़, जिला नोडल संस्कृत अधिकारी
Published on:
24 Jun 2025 09:09 am