
विशिष्ट न्यायालय (अजा-जजा अत्याचार निवारण) अदालत ने दलित की बिंदौली रोकने और मेहमानों के साथ मारपीट करने के पांच साल पुराने मामले में मंगलवार को आठ जनों को दोषी मानते हुए छह माह की सजा सुनाई।
भीलवाड़ा।
विशिष्ट न्यायालय (अजा-जजा अत्याचार निवारण) अदालत ने दलित की बिंदौली रोकने और मेहमानों के साथ मारपीट करने के पांच साल पुराने मामले में मंगलवार को आठ जनों को दोषी मानते हुए छह माह की सजा सुनाई। वहीं दो-दो हजार रुपए जुर्माने के आदेश दिए। अदालत में ट्रायल के दौरान दो जनों की मौत हो गई थी।
सजा पाने वालों में आसींद क्षेत्र के नोला का खेड़ा निवासी लक्ष्मण उर्फ लच्छु गुर्जर, जालू गुर्जर, सुखदेव उर्फ सूखा गुर्जर, लहरूलाल गुर्जर, गोपीलाल गुर्जर, रूपा कुम्हार, देवा गुर्जर तथा नेनूराम गुर्जर शामिल है। प्रकरण के अनुसार 14 मई 2013 को प्रेम बलाई ने आसींद थाने में मामला दर्ज कराया। मामले में आरोप लगाया कि 12 मई 2013 को उसके पुत्र बाबूलाल का विवाह था। इससे एक दिन पूर्व 11 मई की रात को गांव में बाबूलाल को घोड़ी पर बैठाकर बिंदौली निकाली गई। इस दौरान अभियुक्तों ने बिंदौली के आगे आकर रोक दी।
उनका कहना था कि दलित होने से घोड़ी पर बैठाकर बिंदौली नहीं निकाली जा सकती। इस दौरान अभियुक्तों ने दूल्हे बाबूलाल को धक्का देकर घोड़ी से गिरा दिया। बिंदौली में शामिल मेहमानों के साथ मारपीट की। इससे गांव में माहौल गरमा गया। आसींद थाना पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी वहां पहुंचे। पुलिस संरक्षण में दलित की बिंदौली निकाली गई। पुलिस ने बाद में दस जनों को गिरफ्तार कर अदालत में चालान पेश किया। ट्रायल के दौरान नोला का खेड़ा निवासी नगजीराम गुर्जर व मेवालाल गुर्जर की मृत्यु हो गई थी।
अदालत ने उनके खिलाफ कार्रवाई समाप्त की। विशिष्ट लोक अभियोजक महेश विश्नोई ने शेष अभियुक्तों के खिलाफ गवाह व दस्तावेज पेशकर आरोप सिद्ध किया। अदालत ने आठ जनों को दलित की बिंदौली रोकने और मारपीट करने के मामले में दोषी मानते हुए छह-छह माह की सजा सुनाई। वहीं सभी को जुर्माने चुकाने के आदेश दिए।
Published on:
10 Apr 2018 09:08 pm
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