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केन्द्र सरकार के इस कदम से उद्यमियों को मिली बड़ी राहत, अब इस क्षेत्र में बढ़ेगे रोजगार के अवसर

केन्द्र सरकार ने बड़ी कम्पनियों की सहयोगी कम्पनियों को ऋण और बैंक गारंटी पर लगी रोक हटा ली है

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Subsidiaries to stop loan and bank guarantee

Subsidiaries to stop loan and bank guarantee

भीलवाड़ा ।

केन्द्र सरकार ने बड़ी कम्पनियों की सहयोगी कम्पनियों को ऋण और बैंक गारंटी पर लगी रोक हटा ली है। सरकार के इस निर्णय से छोटी और मझोली कम्पनियों को लाभ होगा। वर्ष 2014 में तत्कालीन यूपीए सरकार ने सत्यम घोटाले के बाद कम्पनियों को मातहत संचालित कम्पनियों को ऋण और बैंक गारंटी देने पर रोक लगा दी थी।

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यूपीए सरकार ने कम्पनी अधिनियम 2013 के तहत सभी ग्रुप कम्पनीज को आपस में ऋण और बैंक गारंटी देने पर रोक लगा दी थी। सरकार का यह कदम सत्यम जैसे बड़े घोटाले सामने आने पर किया गया था। लेकिन असका असर छोटे और मझोले उद्योगों पर पडऩा लगा था। सरकार के फसले से उद्यमियों को बड़ी राहत मिली है।

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उद्योगपतियों को रही थी यह परेशानी
आमतौर पर किसी ग्रुप को नई इकाई स्थापित करनी होती है तो वह रुपए का स्त्रोत पुरानी कम्पनी के लाभ को बताता है। इसके अलावा बैंक भी नई कम्पनी को ऋण देने के लिए पुरानी कम्पनी को ही मॉरगेज करती है। लेकिन कम्पनी एक्ट की धारा 185 के अधीन इस तरह के ट्रांजेक्शन पर रोक लगा दी गई थी। इस प्रक्रिया के बाद नई यूनिट लगाने में उद्यमियों को परेशानी आ रही थी।

नए फैसले के अनुसार केन्द्र ने कम्पनियों को ग्रुप कम्पनीज को ऋण और बैंक गारंटी देने की अनुमति प्रदान की है। इसके लिए उन्हें अपने शेयर धारकों की साधारण बैठक बुलाकर अनुमति लेनी होगी। इसके बाद ही ऋण व बैंक गारन्टी ली जा सकेगी। यह उस स्थिति में मान्य होगा जिसकी सिस्टर कंपनी व मूल कंपनी के डायरेक्टर एक समान हो।


रोजगार बढ़ेंगे
सरकार के इस फैसले का अर्थव्यवस्था पर अच्छा प्रभाव होगा। कम्पनियां अपने ग्रुप कम्पनियों को ऋण और बैंक गारंटी देगी तो उसका विस्तार होगा। नई कम्पनियों के खोलने में आसानी होगी। इस फै सले से रोजगार का सृजन फिर से तेज होगा।
आरके जैन, महासचिव, मेवाड़ चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स

कानून में ढील देने की उठ रही थी मांग
उल्लेखनीय है कि यूपीए सरकार ने इस पर रोक लगाई थी, तब से उद्यमियों की मांग इसे हटाने को थी। केन्द्र सरकार ने उद्यमियों की मांग को मानते हुए इस रोक हटाया दिया है। हालांकि इस मामले में फर्जी कम्पनियों को इससे अलग रखा गया है। यानी जो कम्पनियां वास्तव में होंगी, उन्हें ही इसका लाभ मिलेगा।