आग भर्ती मरीज व उनके परिजन घबरा उठे। ऐसे में हालात कही अधिक विकट हो गए। करीब एक घंटे की मशक्कत के बाद यहां स्थिति पूर्णत नियंत्रित हो गई। होस्पीटल परिसर में स्थिति सामान्य होने के बाद यहां से निकटवर्ती बांगड़ होस्पीटल में रैफर किए २५ रोगियों को भी वापस यहां ले आया गया।
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कलक्टर नकाते व पुलिस अधीक्षक चन्द्रा के साथ ही संबधित विभागों के अधिकारी भी मौके पर आ गए। यहां फैले धुएं को देखते हुए अधिकारियों ने होस्पीटल में भर्ती ६२ मरीजो में से करीब २५ को निकट स्थित बृजेश बांगड़ होस्पीटल में रैफर करने का निर्णय लिया। तत्काल प्रभाव से १५ मरीजों को वहां भेज भी दिया गया। लेकिन एक घंटे में पूरी स्थिति नियंत्रित होने पर यहां मौजूद सभी ने राहत की सांस ली। इसके बाद कई मरीजों को वापस बांगड होस्पीटल से यहां शिफ्ट कर दिया गया।
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स्वास्तिक होस्पीटल के निदेशक डॉ.हरीश मारू ने बताया कि भूतल में ऑक्सिजन प्लांट की वायरिंग में शॉर्ट सर्किट से आग लगी। स्टाफ ने तुरंत तत्परता दिखाई और आग बुझाने में प्रयुक्त सिलेंडर एक के बाद एक १६ खाली कर दिए। इससे आग तुरंत बुझ गई, लेकिन सिलेंडर से उठे धुएं से भूतल के बाद होस्पीटल घिर गया, जिससे लोग भयभीत हो गए। उन्होंने कहाकि एक घंटे में पूरी स्थिति को नियंत्रित कर लिया गया। होस्पीटल में सभी रोगी व उनके परिजन सुरक्षित है।
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कोरोना संक्रमित भी भीड़ में आ गए
स्वास्तिक होस्पीटल की तीसरी मंजिल पर कोरोना संक्रमित मरीजों का वार्ड है। घटना के वक्त वार्ड में २१ मरीज भर्ती थे, लेकिन आग के बाद मची अफरातफरी से अधिकांश मरीज बाहर आ गए और भीड़ का हिस्सा बन गए। होस्पीटल के अनुसार इनमें ९ को बांगड व ४ को कृष्णा होस्पीटल में रैफर किया गया, जबकि एक घर चला गया, वही सात अभी भी यहां होस्पीटल में उपचारत है।
पत्रिका ने उठाया था मुद्दा शहर में संस्थानों में आग बुझाने के नाम पर महज कागजी नोटिस जारी होने की कटू सच्चाई राजस्थान पत्रिका ने २८ नवम्बर २० को ही ‘कागजों में निपट रहे है आपदा, नोटिस बेअसरÓ शीर्षक से उठाई थी। इसमें खुलासा किया गया था कि शहर में व्यवसायिक गतिविधि स्थलों पर आग से निपटने के लिए पुख्ता इंतजाम नहीं है और नगर परिषद भी सिर्फ कागजी कार्रवाई कर रही है।