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टेक्सटाइल उद्योग का राजस्थान से पलायन के आसार!

राजस्थान में नही बनी टेक्सटाइल नीति

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Textile industry likely to flee from Rajasthan in bhilwara

Textile industry likely to flee from Rajasthan in bhilwara

भीलवाड़ा।
Textile industry आर्थिक संकट व विदेशों से सस्ते आयातित उत्पाद से संकट से जुझ रहे टेक्सटाइल उद्योग का अब राजस्थान से पलायन सामने नजर आ रहा है। मध्यप्रदेश सरकार की ओर से 2 दिन पूर्व जारी टेक्सटाइल नीति को देखकर भीलवाडा का टेक्सटाइल उद्योग इस नीति पर मंथन करने लगा है।
कई उद्यमियों का मानना है कि राजस्थान में टेक्सटाइल नीति नही होने तथा विद्युत दर अधिक होने से उद्योग बन्द हो चुके है तथा ओर भी बन्द होने के कगार पर आ गये है। हालांकि इस संकट से ऊबारने के लिए राजस्थान सरकार पिछले कुछ समय से प्रयासरत है।


Textile industry राजस्थान में नई सरकार आने के बाद टेक्सटाइल नीति पर कई बार बैठके कर चुकी है, माना जा रहा है अगले कुछ माह में नई औद्योगिक नीति घोषित हो सकेगी। उद्यमियों का मानना है कि मध्यप्रदेश सरकार ने टेक्सटाइल क्षेत्र में नया निवेश करने के लिए आकर्षक नीति बनाई है, इस नीति के दम पर भीलवाडा से कई उद्योग यहां से लगभग सवा सौ किमी दूर नीमच एवं मन्दसौर में उद्योग लगाने के लिए तैयार है। अगर ऐसा होता है तो भीलवाडा से कई उद्योग पलायन हो सकते है।
उद्यमियों का कहना है कि महाराष्ट्र, गुजरात व मध्यप्रदेश की तर्ज पर राजस्थान की नई औद्योगिक नीति बनने पर ही उद्योगों को सम्बल मिल सकता है। इन तीनों राज्यों में पूंजीगत अनुदान के साथ नये उद्योग लगाने पर ब्याज अनुदान, रोजगार अनुदान तथा विद्युत में कई तरह की छूट दी गई है।
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महाराष्ट्र की टेक्सटाइल नीति
पूंजीगत अनुदान: नये उद्योग लगाने पर 25 से 40 प्रतिशत तक अनुदान
- विदर्भ, मराठवाडा एवं उत्तरी महाराष्ट्र में उद्योग लगाने पर 5 प्रतिशत अतिरिक्त अनुदान
- जहां टेक्सटाइल उद्योग नही है एवं नया कम्पोजिट प्लान्ट लगाने पर 5 प्रतिशत अतिरिक्त अनुदान
- 500 करोड से अधिक के निवेश पर 5 प्रतिशत अतिरिक्त अनुदान
- एससी-एसटी उद्यमियों को 5 प्रतिशत अतिरिक्त अनुदान
- टेक्सटाइल पार्क के लिए प्रोजेक्ट लागत का 9 प्रतिशत या अधिकतम 9 करोड तक का अनुदान
- प्रोसेस हाउस लगाने पर 25 प्रतिशत अनुदान या 37.50 करोड तक का अधिकतम अनुदान
- प्रोसेस में जीरो डिस्चार्ज मेन्टेन करने के लिए प्लान्ट लगाने पर 40 प्रतिशत का अनुदान
- विद्युत पर 2 रुपए प्रति यूनिट की छूट मिल रही है
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मध्यप्रदेश की टेक्सटाइल नीति
- नए उद्योग लगाने पर 10 से 40 प्रतिशत तक पूंजीगत अनुदान या अधिकतम 150 करोड रुपए प्रति इकाई
- नए उद्योग लगाने पर 5 से 7 प्रतिशत अनुदान
- निजी एवं अविकसित जमीन पर उद्योग लगाने पर सडक, आधारभूत सुविधा के लिए 1 करोड का अनुदान
- नए रोजगार देने पर 5000 रुपए प्रति श्रमिक प्रति माह 5 वर्ष तक देय
- विद्युत में अलग-अलग क्षेत्र के अनुसार छूट का प्रावधान। वर्तमान दर 5.90 प्रति यूनिट
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गुजरात की टेक्सटाइल नीति
- पूंजीगत अनुदान तो नही दे रही है लेकिन ब्याज अनुदान 4 से 6 प्रतिशत तक 5 वर्ष तक देय है
- टेक्सटाइल पार्क के लिए 25 प्रतिशत या 15 करोड तक का अनुदान
- विद्युत दरों में 50 एचपी से कम के उद्योग के लिए 3 रुपये प्रति युनिट व उससे बडे उद्योगों पर 2 रुपये प्रति युनिट की छूट।
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राजस्थान की टेक्सटाइल नीति वर्ष 2014 से 201८ तक
- पूंजीगत अनुदान नही है। ब्याज अनुदान 5 प्रतिशत।
- टेक्सटाइल पार्क के लिए कोई योजना नही है राज्य सरकार जमीन तक उपलब्ध नही करा पा रही है।
- विद्युत दरे प्रस्तावित की गई है, उसमें 1 से 1.50 रुपए की छूट प्रस्तावित है लेकिन स्थाई शुल्क 185 से बढाकर 385 रुपए किया गया है, इससे पावरलूम उद्योग को फायदा नही किया गया है।
- रोजगार अनुदान 1500 रुपए प्रतिमाह दिया जा रहा है, वह कम है।
- नए डेनिम उद्योग पर रोक है।
-रीको के पास जमीन नही, नया औद्योगिक क्षेत्र विकसित नही हो पा रहा है।


उद्योग मंत्री से होगी चर्चा
मेवाड चेम्बर की ओर से विभिन्न राज्यों की टेक्सटाइल नीति एवं विद्युत दरों की तुलनात्मक स्थिति बनाकर उद्योगमंत्री के सामने पेश की जाएगी। पूर्व में मुख्य सचिव से स्तर पर हुई बैठक में भी हमने नई टेक्सटाइल नीति बनाने की मांग की थी।
आर के जैन, महासचिव, मेवाड चेम्बर