हादसा बुधवार दोपहर दादिया गांव के पास चारागाह भूमि पर स्थित अवैध क्वार्ट्ज-फेल्सपार की खदान में हुआ। यह खदान 150 से 200 फीट गहरी थी और लंबे समय से अवैध रूप से संचालित हो रही थी। दोनों श्रमिक क्रेन की मदद से खदान में सफेद पत्थर निकालने के लिए नीचे उतरे थे। इसी दौरान चट्टान और मिट्टी का मलबा ढह गया। इसके नीचे दोनों दब गए। मलबे के साथ क्रेन का अगला हिस्सा भी टूट गया। अवैध ब्लास्टिंग के कारण खदान की संरचना कमजोर हो गई थी, जिससे यह हादसा हुआ। हादसे में केवल 2 श्रमिकों की जान नहीं गई। बल्कि 5 बच्चों के सिर से पिता का साया छिन गया। बच्चे 2 से 10 साल तक की उम्र के हैं। चार परिवारों को इस हादसे ने हिला कर रख दिया।
अवैध खनन का आरोप सरपंच व सीआर के खिलाफ मामला दर्ज सहाड़ा विधायक लादूलाल पितलिया का आरोप है कि अवैध खनन पूर्व मंत्री के कार्यकर्ता व बागोर सरपंच कालूराम जाट तथा कांग्रेस सीआर हरीश खटीक खनिज, राजस्व तथा अन्य अधिकारियों की मिलीभगत से कर रहे थे। सरपंच जाट, सरपंच पुत्र ललित जाट, पेंटर सांसी व सीआर खटीक के खिलाफ मृतक उदयलाल भील के भाई कैलाश भील तथा राजकुमार जाट के पिता मूलचंद जाट ने बागोर थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाई है। खनिज विभाग के खनि कार्यदेशक (फोरमैन) श्रवण कुमार ने भी मामला दर्ज करवाया। विधायक पितलिया घटना स्थल से बागोर थाने पहुंचे तथा जिला कलक्टर व पुलिस अधीक्षक से दोषी के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए।
रेस्क्यू ऑपरेशन में देरी अजमेर से बुलाई गई राज्य आपदा प्रबंधन की टीम भी रात काे पहुंची। रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए हाइड्रोलिक क्रेन मंगवाई गई। सुबह 6 बजे उदयराम भील का और 9 बजे राजकुमार जाट का शव निकाला गया। दोनों शवों को भीलवाड़ा जिला अस्पताल की मोर्चरी में रखवाया गया। जहां पोस्टमार्टम के बाद परिजनों को सौंप दिया। हालांकि भील समाज ने 50 लाख रुपए के मुआवजे की मांग को लेकर धरना दिया।
खान माफियाओं के हौसले बुलंद जिस खदान में हादसा हुआ है वहां खनन विभाग को जानकारी थी। इसके आस-पास भी अवैध खनन हो रहा है। लेकिन खनिज विभाग ने कोई कार्रवाई नहीं की। जिले के गंगापुर, रामपुरिया, लाखोला, भरक आमली, सूरजपुरा, गूंदली, मांगवा, कोचरिया, आसींद, बेमाली, लाछुड़ा, केरिया, हमीरगढ़, मंगरोप, मांडलगढ़ सहित कई क्षेत्रों में अवैध रूप से खनन चल रहा है। खनन माफियाओं ने अपना गिरोह भी बना रखा है जो किसी भी प्रकार की वारदात को अंजाम देने से भी नहीं चूकते।
अवैध खदानों में पहले भी हो चुके हैं हादसे अवैध खनन के दौरान कई मजदूरों की मौत हो चुकी है। 11 अगस्त 2021 को आसींद के लाछूड़ा में अवैध खदान के ढहने से 7 मजदूरों की दर्दनाक मौत हो गई थी। इनमें 3 महिलाएं भी शामिल थीं। बिजोलियां के भूति में पत्थर खदान ढहने से 4 मजदूर दब गए थे। इसमें तीन की मौत हो गई थी। रामपुरा के आगूचां में खदान का मलबा गिरने से दो श्रमिकों की मौत 2021 में हो गई थी। वर्ष 2021 में बदनोर के शीतला का चौड़ा में भूस्खलन में खदान का मलबा गिर गया था। वही वर्ष 2009 में सहाड़ा के साकरिया गांव में खदान के मलबे में दबने से 4 श्रमिक की मौत हो गई थी।