
The lo now will not be possible before the election. This big job, the
भीलवाड़ा। सरकार ने प्रदेश में खनन उद्योग को बढ़ावा देने के लिए दो बड़े बदलाव किए। दोनों ही बदलाव चुनावी घोषणा साबित हुए है। इसकी वजह है कि सरकार ने विधानसभा चुनावों के एेनवक्त पर नई घोषणाएं की थी। इससे उद्यमियों को फायदा भी नहीं मिला और आचार संहिता लगने से आस अधूरी रह गई। खान विभाग के निदेशक जेके उपाध्याय ने एक आदेश जारी कर प्रदेश में आदर्श आचार संहिता के कारण क्वारी लाइसेंस व खनन पट्टा स्वीकृति पर रोक लगा दी है। अब यह काम नई सरकार के आने के बाद ही होगा। उन्होंने पत्र में लिखा है कि निदेशालय के ध्यान में आया है कि कुछ दफ्तरों में आचार संहिता के बावजूद खातेदारी भूमि में प्राप्त आवेदनों में मंशा पत्र जारी किए जा रहे हैं जो उचित नहीं है। एेसे में आचार संहिता के दौरान किसी भी तरह के पट्टे नहीं दिए जाए।
जानिए, क्या बदलाव किए थे सरकार ने
01. चार साल बाद दी थी क्वारी लाइसेंस की अनुमति
कैसे-खातेदारी भूमि में सेंड स्टोन के क्वारी लाइसेंस देने के लिए खान विभाग ने न्यूनतम एरिया एक हैक्टेयर कर दिया था। हालांकि इसमें सिंचित भूमि होने पर लाइसेंस नहीं देने की शर्त डाल दी थी। बिजौलियां क्षेत्र के सेंड स्टोन के उद्यमी को नए नियम से आस जगी थी। इस आदेश में अब न्यूनतम एक हैक्टेयर एरिये में सेंड स्टोन के क्वारी लाइसेंस दिए जाने थे। साथ ही खातेदारी भूमि में राजस्व रिकॉर्ड के अनुसार, बंजड़, बारानी अथवा असिंचित भूमि में ही क्वारी लाइसेंस जारी किए जा सकेंगे। इसके आवेदन लेने से पहले ही रोक लग गई।
02. खातेदारी भूमि में खान आवंटन अटका
कैसे: सरकार ने खातेदारी भूमि में एक हैक्टेयर तक की जमीन पर भी खनन का अधिकार दिया। इस संसोधन से जिले में ठप पड़े खनिज उद्योग को नई गति मिलने की उम्मीद थी। अभी तक खातेदारी भूमि में चार हैक्टेयर या इससे अधिक जमीन होने पर ही खनन अधिकार के लिए पट्टा दिया जा सकता था। इससे बड़ी खदानें ही चल रही थी और मध्यम वर्ग के लोगों को इससे रोजगार नहीं मिल पा रहा था। अब चुनावी साल में सरकार ने इसमें बड़ा संशोधन कर दिया लेकिन इसका फायदा नहीं मिला। नए नियम के तहत सौ से अधिक जनों ने नई खान के लिए आवेदन किया लेकिन प्रक्रिया अधूरी ही रह गई।
बुरे दौर से गुजर रहा है खनन उद्योग
अभी जिले में खनन उद्योग की स्थिति अच्छी नहीं है। करीब 1203 खदानें हैं, इनमें से करीब ४०० बंद पड़ी है। इन खदान मालिकों को विभाग ने नोटिस भी जारी किया लेकिन अधिकांश ने खानापूर्ति कर दी। वजह है कि कच्चे माल की कीमतें कम है। जिले में क्वार्ट्स फेल्सपार, ग्रेनाइट, सेंड स्टोन आदि मिनरल निकलते हैं लेकिन कीमतें नहीं बढऩे से उद्योग संकट में हैं। जिले में करीब 250 ग्राइंडिंग यूनिटें भी संकट में ही है। क्योंकि कच्चा माल गुजरात के मोरवी में जाने से इनका काम कम हो गया है।
Published on:
20 Oct 2018 07:52 pm
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